कानपुर(ब्यूरो)। जमीन से आसमान तक ऐसी कोई फील्ड नहीं है जहां महिलाओं ने खुद को साबित न किया हो, कामयाबी के झंडे न गाड़े हों। देश की महिलाए अब ट्रेन और फाइटर प्लेन चलाने से लेकर हर वो जोखिम भरा काम कर रही हैं जिसमें कभी सिर्फ पुरुषों के लिए ही एंट्री थी। जल्द ही ऐसी ही एक और चुनौतियों से भरी ड्यूटी को अंजाम देते दिखेंगी महिलाएं। क्योंकि आठ दशक बाद फायर फाइटिंग में भी महिलाओं की हिस्सेदारी होगी। फीमेल फायर फाइटर आग से लोगों की जिंदगी बचाते हुए दिखेंगी। फायर डिपार्टमेंट की नई नियमावली में महिलाओं की भी भर्ती का प्रावधान है। फायर मैन का नाम बदल कर फायर ऑपरेटर किया जा रहा है।
रिव्यू के लिए शासन को भेजा
13 दिसंबर 2022 को यूपी में पुराने सभी फायर एक्ट को खत्म करते हुए प्रदेश सरकार ने अग्निशमन और आपात सेवा अधिनियम 2022 लागू किया था। इस अधिनियम की नियमावली तैयार करने के लिए 5 सदस्यीय कमेटी गठित की गई है। जो केंद्र सरकार के मॉडल फायर सर्विस बिल 1958 एवं संशोधित मॉडल फायर एंड इमरजेंसी सर्विस बिल 2019 और यूपी के अग्निशमन और आपात सेवा अधिनियम 2022 को जोड़ कर फायर सर्विस को और मजबूती देने के लिए नियमावली बना रही है। इसी नियमावली में फायर डिपार्टमेंट में विभिन्न पदों पर होने वाली भर्ती के नियम, गाइडलाइन और पात्रता में भी बदलाव किया जा रहा है। नियमावली तैयार हो गई है।
नियम एक, फिजिकल मानक अलग-अलग
कमेटी के जुड़े सूत्रों के अनुसार, नियमावली में कई बड़े बदलाव किए जा रहे हैं। जिसमें फायर डिपार्टमेंट में महिलाओं की हिस्सेदारी देना भी शामिल है। अधिकारी के अनुसार, अब तक फायर डिपार्टमेंट में हर पद के लिए सिर्फ मेल के लिए ही भर्ती होती थी, लेकिन अब इसमें बदलाव किया जा रहा है। अब फायर डिपार्टमेंट में हर पद के लिए इंडियन सिटीजन आवेदन कर सकता है, फिर चाहे मेल हो या फीमेल। नियमावली में मेल और फीमेल की भर्ती के नियम एक होगी लेकिन उनके फिजिकल मानक अलग अलग होगी।
फायर मैन की जगह फायर ऑपरेटर
फायर सर्विस महिलाओं को जोखिम उठाने के काबिल नहीं माना जाता था, यहीं वजह है कि डिपार्टमेंट में एक पद फायर मैन ही पुरुष को फोकस करते हुए बनाया था, लेकिन यूपी के अग्निशमन और आपात सेवा अधिनियम 2022 ही नई नियमावली में फायर मैन पद का नाम ही बदला जा रहा है। अब इसका नाम फायर ऑपरेटर रखा जाएगा। जिसमें मेल और फीमेल दोनों की ही भर्ती की जाएगी।
फायर एक्ट के बारे में जानिए
- 79 साल पहले वर्ष 1944 में फायर सर्विस एक्ट बनाया गया और वर्ष 1945 में नियमावली लागू की
- ब्रिटिश गर्वनमेंट ने आग बुझाने को जोखिम भरा काम माना और महिलाओं की भर्ती पर रोक लगा दी
- उस दौरान सेना, एयरफोर्स, नेवी या अन्य किसी सुरक्षा दस्ते में भी महिलाओं की भर्ती नही होती थी
- फायर सर्विस कर्मचारी भर्ती नियमावली में वर्ष 2010, 2013 व 2015 में संशोधन किया गया।
-इस संसोधन में भी फायर डिपार्टमेंट में महिलाओं की भर्ती पर फैसला नहीं लिया गया
- हालांकि महाराष्ट्र, गोवा, तमिलनाडु और राजस्थान में महिलाएं फायर फाइटिंग कर रही हैं।