स्थानीय मीडिया की रिपोर्टों के मुताबिक अदालत ने उस महिला को मुआवजा देने का निर्देश दिया है। वर्ष 2007 में इस महिला को न्यू साउथ वेल्स में एक मोटेल के कमरे में सेक्स के दौरान बिस्तर के ऊपर लगे शीशे से चोट लग गई। महिला ने चेहरे पर चोट और मानसिक आघात के लिए मुआवजे की मांग की, जिसे पहले ठुकरा दिया गया था।

'काम के दौरान लगी चोट'

लेकिन अब मामले कि सुनवाई कर रहे एक जज ने कहा कि उन्हें ये चोट कार्यकाल के दौरान लगी थी। उनके मुताबिक कार्यकाल के दौरान कार्ड खेलते हुए चोट लगना या सेक्स करते हुए चोट लगना, दोनों में मुआवजा मिलने का बराबर अधिकार है।

न्यायाधीश जॉन निकोलस ने कहा, "अगर उन्हें अपने मोटेल के कमरे में कार्ड खेलते हुए चोट लगती तो वो मुआवजे का अधिकारी बनती। हालांकि ये नहीं कहा जा सकता कि जिनके लिए वो नौकरी करती हैं, उन्होंने उस महिला को ऐसा करने की प्रेरणा या लालच दी होगी."

न्यायाधीश ने आगे कहा, "आवेदक ने कोई गलत काम नहीं किया और खुद को जानबूझ कर चोट नहीं पंहुचाई। ये तथ्य कि वो कोई अन्य न्यायोचित मनोरंजन कार्य नहीं, बल्कि सेक्स कर रही थी, इससे कोई अलग नतीजा नहीं निकलता."

मामला

ऑस्ट्रेलिया में केंद्रीय सरकारी अधिकारी इस महिला की उम्र 35 के आसपास है। घटना के दौरान शीशे की फिटिंग से उन्हें नाक, चेहरे और दांत पर चोट लगी थी। रिपोर्टों के मुताबिक घटना के बाद उन्हें अवसाद भी हो गया था।

उनके नियोक्ता ने अगले दिन होने वाली मीटिंग के लिए मोटेल में उनके लिए कमरा बुक किया था। जब उनकी मुआवजे की मांग ठुकरा दी गई तो उन्होंने मुकदमा ठोंका। पहले अदालत ने उनकी अपील ठुकरा दी थी।

लेकिन अब जज निकोलस का कहना है ये गलत था कि महिला से कहा गया कि वो साबित करे कि उनकी चोट किसी ऐसा काम में लगी है जिसके लिए उनके नियोक्ता उन्हें बढ़ावा दे रहे थे।

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