कानपुर (ब्यूरो)। अगर आपको किसी लैैंग्वेज की नॉलेज नहीं और आप उस कंटेंट को सुनना, पढऩा या समझना चाहते हैैं तो अब कोई टेंशन लेने की जरूर नहीं। हर तरह की लैंग्वेज की प्रॉब्लम को सॉल्व करने के लिए एआईसीटीई ने अनुवादिनी टूल को लांच कर दिया है। यह टूल सभी के लिए इंटरनेट पर उपलब्ध है। वेडनेसडे को सीएसजेएमयू के भाषा उत्सव में शामिल होने आए एआईसीटीई के चीफ कोऑर्डिनेशन ऑफिसर डॉक्टर बुद्ध्र चंद्रशेखर ने बताया कि इस टूल से आप पीडीएफ, डॉक्स फाइल, इमेज और वॉइस के साथ-साथ रिकॉर्ड और लाइव वीडियो को भी अपनी समझ की लैंग्वेज में ट्रांसलेट कर सकते हैं। इस टूल को एआईसीटीई के डॉ। बुद्धाचंद्रशेखर ने टीम के साथ मिलकर एआई और डीप लर्निंग टेक्नोलॉजी पर बनाया है। द्धह्लह्लश्चह्य://ड्डठ्ठह्व1ड्डस्रद्बठ्ठद्ब.ड्डद्बष्ह्लद्ग-द्बठ्ठस्रद्बड्ड.शह्म्द्द/ इसका ऑफिशियल लिंक है।
डॉक्स फाइल और पीडीएफ को भी
डॉ। बुद्धाचंद्रशेखर ने बताया कि हिंदी मीडियम से पढऩे वाले स्टूडेंट अक्सर इंग्लिश की बुक को देखकर घबरा जाते हैैं। ऐसे मेें इस टूल के माध्यम से बुक को हिंदी में ट्रांसलेट किया जा सकता है। केवल हिंदी ही नहीं तमिल, मलयालम, बंगाली, गुजराती या कन्नड़ समेत 22 लैैंग्वेजेज मेें ट्रांसलेट करके पढ़ा जा सकता है। केवल स्टूडेंट ही नहीं कोई व्यक्ति इस टूल का यूज अपने अपने काम के लिए कर सकता है। अलग अलग लैैंग्वेजेज में आने वाले कोर्ट के डिसीजन, डाक्यूमेंट आदि को भी इसमें ट्रांसलेट किया जा सकता है।
लाइव वीडियो को भी अपनी भाषा में सुनें
केवल किसी रिटेन ही नहीं बल्कि रिकॉर्डेड या लाइव वीडियो को भी किसी अपनी समझ वाली भाषा में ट्रांसलेट कर सकते हैैं। उदाहरण के तौर यूट्यूब पर किसी अंग्रेजी के वीडियो को आपको हिंदी में सुनना है तो अनुवादिनी के भारत ट्यूब नाम से बने आप्शन में लिंक को पेस्ट करना होगा। पूरा का पूरा वीडियो कंटेंट हिंदी में आ जाएगा। इसी तरह के वाइस लिंक या रिकार्डिंग को भी ट्रांसलेट किया जा सकता है।
लांग कंटेंट की समरी भी बनेगी
इस टूल में एक अनंता नाम की फीचर है। इसकी खासियत है कि इसमेें अगर आप किसी लांग कंटेंट को ट्रांसलेट करने के बाद उसकी सुमारी जानना चाहते हैैं तो वह भी मिल जाएगी। इसके अलावा लांग कंटेंट के बीच का कोई क्वेश्चन पूछते हैैं तो उसका आंसर भी मिल जाएगा।
पांच लाख यूजर्स ने लिया बेनीफिट
डॉ। चंद्रशेखर ने बताया कि तीन माह पूर्व इस टूल को शुरू किया गया है। अभी तक 5 लाख के ऊपर यूजर ने इसको यूज किया है। इस टूल की खास बात है कि इसमें दो लाख लोग एक साथ किसी लाइव वीडियो को देख सकते हैं।
95 परसेंट तक एक्यूरेसी
फिलहाल मार्केट में अवेलेबल ट्रांसलेटर की एक्सरेसी 60-70 परसेंट है। जबकि अनुवादिनी की एक्यूरेसी 95 परसेंट है। इसमें एक संटेंस को एक बार में ट्रांसलेट किया जाता है। इसके अलावा इसमें ट्रांसलेट किए गए डाक्यूमेंट में फार्मेट भी नहीं बदलेगा। जबकि मार्केट में अवेलेबल ट्रांसलेटर्स फार्मेट बदल देते हैैं।
आब्जेक्टिव क्वेश्चन से बिगड़ रही लैैंग्वेज
दिल्ली यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर अवनिजेश अवस्थी ने कहा कि लैैंग्वेज के डेवलपमेंट न होने में स्कूलिंग का बड़ा योगदान है। उन्होंने कहा कि अब मैक्सिमम आब्जेक्टिव क्वेश्चन पूछे जाते हैैं, जिसमें सही आप्शन सिलेक्ट करने पर माक्र्स मिल जाते हैैं। जबकि लिखने वाले क्वेश्चंस के आंसर में लिखने से लैैंग्वेज समझ में आती और उसका डेवलपमेंट भी होता है।
फिल्ममेकर्स को पढऩा चाहिए साहित्य
एक्टर, राइटर और कवि अखिलेंद्र मिश्रा ने कहा कि फिल्म मेकर्स को भी साहित्य पढऩा चाहिए। उन्होंने कहा कि फॉरेन में अब इंडियन कल्चर को अपनाया जा रहा है। जबकि इंडिया में वेस्टर्न कल्चर को अपनाकर खुद को माडर्न साबित करने की कोशिश की जा रही है। राम की प्राण प्रतिष्ठा के सवाल पर कहा कि राम संस्कृति का आधार हैैं। 22 जनवरी का दिन बहुत बड़ा है। कण कण में राम हैैं।