- जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज में खुलेगी हाईटेक कल्चर डीएसटी लैब
- माइक्रोबायोलॉजी डिपार्टमेंट में बनने वाली इस लैब में ड्रग सेंसटिविटी टेस्ट किए जाएंगे
- केंद्र सरकार की मदद से 4 करोड़ की लागत से तैयार की जाएगी कल्चर डीएसटी लैब
KANPUR: 2025 में देश में टीबी के खात्मे के दावे के बीच जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज में इसके इलाज में मददगार एक हाईटेक लैब लगाने का काम शुरू हो गया है। इस लैब में डॉक्टर्स पता लगाएंगे कि बैक्टीरिया पर कौन सी दवा कारगर है और कौन सी बेअसर। इसके लिए लैब में जिंदा बैक्टीरिया पर दवाओं के ट्रायल होगे। माइक्रोबायोलॉजी डिपार्टमेंट में बनने वाली इस लैब में ड्रग सेंसटिविटी टेस्ट किए जाएंगे। अभी यह लैब लखनऊ और आगरा में है। क्रिटिकल पेशेंट्स के सैंपल इन लैबों में भेजे जाते हैं,लेकिन यह लैब स्थापित होने के बाद जांच जल्दी होगी और पेशेंट का समय पर इलाज शुरू हो सकेगा।
सीबी नॉट से आगे की जांच
सिटी में अभी मल्टी ड्रग रजिस्टेंस वाले पेशेंट्स की जांच के लिए सीबीनॉट मशीने लगी हैं। वहीं एक्सट्रा ड्रग रजिस्टेंस वाले पेशेंट्स के लिए जांच की फैसेलिटी नहीं है। ऐसे पेशेंटस के सैंपल जांच के लिए आगरा और लखनऊ भेजे जाते हैं। इसे देखते हुए केंद्र सरकार की संस्था नेशनल टीबी डिवीजन फाइंड संस्था की मदद से जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज में 4 करोड़ की लागत से यह कल्चर डीएसटी लैब तैयार की जाएगी।
कौन सी दवा कारगर
लैब बनाने का काम मेडिकल कॉलेज कैंपस में पुराने ब्लड बैंक के पास खाली जगह पर शुरू कर दिया गया है। डीटीओ डॉ.एपी मिश्र से मिली जानकारी के मुताबिक इस लैब में एक्स्ट्रा ड्रग रजिस्टेंस वाले पेशेंट्स में कौन सी दवा कारगर होगी, इसका पता लगाया जाएगा। इसके लिए पेशेंट के बलगम के सैंपल में मौजूद बैक्टीरिया को लैब में ग्रो करवा कर दवाएं टेस्ट की जाएंगी।
दवाओं की सेंसेटिविटी होगी चेक
पेशेंट्स के ट्रीटमेंट में कौन सी दवाएं कारगर हैं कौन सी नहीं। इसका पता लगाने के लिए किए जाने वाले कल्चर टेस्ट में फर्स्ट लाइन और सेकेंड लाइन दवाओं में किस दवा की कितनी सेंसेटिविटी है इसका पता इस लैब में चल सकेगा। कल्चर डीएसटी लैब के साथ ही लाइन प्रोएसए लैब भी बनाई जा रही है। यह लैब डॉक्टर्स को दवाओं की सेंसेसिविटी परखने के लिए रिसर्च में भी काम आएगी। और टीबी से जुड़े कई रिसर्च प्रोजेक्ट में भी इससे मदद मिलेगी। डीटीओ डॉ.एपी मिश्रा के मुताबिक लैब का काम जल्द पूरा हो जाएगा। जिसके बाद इसे पेशेंट्स के लिए शुरू किया जाएगा। इससे टीबी के सबसे क्रिटिकल पेश्ेांट्स के इलाज में मदद मिलेगी।
कानपुर टीबी फैक्टफाइल-
15,543- टीबी पेशेंट्स रजिस्टर्ड थे 2020 में
5474- नए टीबी पेशेंट्स मिले जिनका इलाज हुआ
22 हजार- टीबी पेशेंट्स का 2021 में चल रहा इलाज
टीबी पेशेंट्स की जियो टैगिंग
सीएमओ डॉ.नेपाल सिंह ने जानकारी दी कि दस्तक अभियान शुरू कर टीबी के लक्षणों वाले पेशेंट्स की पहचान की जाएगी। साथ ही इन पेशेंट्स की जियो टैगिंग भी की जा रही है। टीबी प्रोग्राम के कर्मचारी इसके बाद निक्षय पोर्टल पर दर्ज कर उनकी लोकेशन का पता रखेंगे। और समय पर दवा मिले यह सुनिश्चित कराएंगे। इसके अलावा टीबी पेशेंट्स के लिए आरोग्य साथी एप भी डेवलप किया जा रहा है।