- शांति भंग की सुनवाई सहित कई अहम अधिकार होंगे पुलिस कमिश्नर के पास
-शस्त्र लाइसेंस जारी करने व निरस्तीकरण सहित एक्साइज के मामले डीएम के पास
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KANPUR : कानपुर में पुलिस कमिश्नर सिस्टम लागू होने के बाद कई प्रशासनिक अधिकार पुलिस कमिश्नर के पास चले जाएंगे। विषम परिस्थितियों में कानून व्यवस्था बनान रखने के लिए अगर लाठीचार्ज की जरूरत होगी तो कमिश्नर इसके आदेश दे सकेंगे। अब डीएम या एसीएम के आदेश का इंतजार नहीं करना पड़ेगा। वहीं शस्त्र लाइसेंस बनाने, देने और निरस्तीकरण समेत एक्साइज के मामले डीएम के पास ही रहेंगे। आला अफसरों के मुताबिक आने वाले समय में कलक्ट्रेट विकास योजनाओं का मुख्य केंद्र होगा। जबकि धरना प्रदर्शन और शांति भंग जैसे मामलों के निपटारे और सुनवाई का अधिकार पुलिस कमिश्नर के पास होगा।
निपटारा भी करेंगे कमिश्नर
कानपुर में पुलिस कमिश्नर सबसे बड़ा अफसर होगा। जो स्वयं कई महत्वपूर्ण मामलों में सुनवाई और निपटारा कर सकेगा। अभी तक अधिकांश मामलों में डीएम, एसीएम, एसडीएम आदि की संस्तुति से पुलिस कार्रवाई करती थी। डीएम भी कई मामलों का निपटारा पहले की अपेक्षा जल्द कर सकेंगे। यहां तक कि मुख्यमंत्री शिकायत पोर्टल आईजीआरएस पर आने वाली शिकायतों का निस्तारण भी जल्दी होगा।
मजिस्ट्रेट के अधिकार
वर्तमान भारतीय पुलिस अधिनियम जिले के डीएम को प्रशासनिक शक्ति प्रदान करता है। पुलिस एक्ट के भाग चार के अंतर्गत डीएम को पुलिस पर नियंत्रण का अधिकार होता है। लाठीचार्ज का फैसला भी मजिस्ट्रेट के आदेश पर ही लिया जाता है। किसी भी आपात स्थिति में पुलिस डीएम, कमिश्नर, शासन के आदेश पर ही काम करती है। लेकिन पुलिस कमिश्नर प्रणाली में डीएम और एक्जीक्यूटिव मजिस्ट्रेट के अधिकार पुलिस को मिल जाते हैं।
जेल में भी छापा मार सकेंगे सीपी
कमिश्नरेट प्रणाली में पुलिस आयुक्त के पास जेल में छापा मारने का अधिकार भी होगा। जेल अधिनियम के हिसाब से जेल में औचक निरीक्षण का अधिकार जिला जज के अलावा जिला अधिकारी को है। जेल अधिकारी के साथ ही पुलिस कप्तान जेल में छापा मारने के लिए प्रयास कर सकता है। मगर, नई व्यवस्था में कारागार में निरीक्षण का अधिकार पुलिस आयुक्त के पास होगा। वहीं किसी भी बंदी को सात से आठ दिन की पैरोल भी कमिश्नर दे सकेगा।