कानपुर (ब्यूरो) आरटीओ अधिकारियों के मुताबिक कई बार दुर्घटना होने के बाद पता चलता है कि व्हीकल ड्राइवर के पास डीएल ही नहीं था। प्राइवेट व्हीकल हॉयर करते समय अक्सर पैरेंट्स व्हीकल के ड्राइवर का डीएल नहीं देखते है। जब कि नियमानुसार स्कूली वाहन चलाने वाले ड्राइवर का डीएल पांच साल पुराना होना चाहिए। डीएम ने पिछले दिनों आरटीओ अधिकारियों के साथ मीटिंग कर बच्चों की सेफ्टी को देखते हुए आरटीओ को सिटी के सभी स्कूली वाहनों की लिस्ट बनाने के आदेश दिए थे। व्हीकल का रजिस्ट्रेशन नंबर के साथ ड्राइवर का भी नाम, पता व फोन नंबर की डिटेल कलेक्ट करने के आदेश दिए थे। साथ ही स्कूली वाहनों के सभी ड्राइवर्स का पुलिस वैरीफिकेशन भी कराने के आदेश दिए थे। सोर्सेस के मुताबिक सिटी में सैकड़ों व्हीकल ऐसे है। जो स्कूली बच्चों को स्कूल ले जाने व लाने का काम करती है। जब कि वह आरटीओ में प्राइवेट व्हीकल पर दर्ज है। जब कि इनको स्कूली व्हीकल में दर्ज होना चाहिए।
एक नजर में
- 2 हजार से अधिक स्कूली वाहन सिटी में
- 300 से अधिक स्कूली बस
- 400 से अधिक प्राइवेट वैन स्कूली बच्चों को ढो रही है हैं
- 1 हजार से अधिक ई-रिक्शा स्कूली बच्चों को ढो रहे हैं
'' सिटी में बढ़ी संख्या में प्राइवेट व्हीकल व ई-रिक्शा बच्चों को स्कूल ले जाने व लाने में लगे हुए है। यह स्कूली व्हीकल की लिस्ट में दर्ज नही है। लिहाजा इनके ड्राइवर्स की जानकारी भी आरटीओ आफिस में नहीं हैं। बीते दिन डीएम ने स्कूली वाहनों व ड्राइवर्स की लिस्ट तैयार करने के साथ उनका पुलिस वैरीफिकेशन कराने के आदेश दिए थे। इसके चलते उन व्हीकल की भी डिटेल निकलवाई जा रही है.ÓÓ
राजेश सिंह, आरटीओ, प्रशासन