लैब में चल रहे एक शोधकार्य के दौरान वैज्ञानिकों ने पाया कि वाई-फ़ाई से प्रभावित वीर्य मात्र चार घंटे में ही नष्ट हो गए। एक अन्य शोध में पाया गया कि ऐसी स्थिति में वीर्य साधारण की अपेक्षा कम तैर पा रहा था और उसेके जेनेटिक कोड में भी बदलाव देखे गए। हालांकि वैज्ञानिकों का मानना है कि ऐसा ज़रूरी नही है कि असल जीवन में भी वाई-फ़ाई का बुरा प्रभाव पड़ता हो। वैज्ञानिक इस मामले में और शोध करने की मांग कर रहे है।
'फ़र्टीलिटी एंड स्टेरिलिटी' पत्रिका में छपे इस शोध के लिए 29 स्वस्थ पुरूषों के वीर्य का नमूना इकट्ठा किया गया। हर व्यक्ति के वीर्य के नमूने को दो अलग-अलग शीशियों रखा गया। इसमें से एक को वाई-फ़ाई युक्त लैपटॉप के पास रखा गया और दूसरे को एक ही जैसी परिस्थिति में रखा गया लेकिन बिना लैपटॉप के।
अर्जेंटीना और अमरीका के वैज्ञानिकों का मानना है कि वीर्य के नमूनों पर लैपटॉप से निकल रही गर्मी का कोई असर नही पड़ा है, हालांकि गर्मी से वीर्य को नुकसान पहुँचता है।
'जाँच जारी'
ब्रिटेन की स्वास्थ्य सुरक्षा एजेंसी (एचपीए) वाई-फ़ाई के सुरक्षित होने को लेकर काफ़ी समय से निगरानी कर रही है। एचपीए का कहना है कि वाई-फ़ाई का प्रयोग करने वाले लोग या उसके प्रभाव में आने वाले लोग वाई-फ़ाई से निकलने वाले रेडियोधर्मी सिग्नल के प्रभाव में होते है। इस सिग्नल को इंसानी शरीर कुछ हद तक सोख भी लेता है। हालांकि इस सिग्नल की क्षमता बहुत ज़्यादा नही होती है।
एचपीए का कहना है कि इस बात का कोई पुख़्ता प्रमाण नही है कि वाई-फ़ाई से निकलने वाले रेडियोधर्मी सिग्नल का पुरूषों की प्रजनन क्षमता पर दुष्प्रभाव पड़ता है।
ब्रिटेन की शेफ़िल्ड यूनिवर्सिटी में एंड्रोलॉजी के लेक्चरर डॉक्टर ऐलन पेसी का कहना है, ''शोध अच्छा है लेकिन हमें ये अनुमान लगाने में सतर्क रहना होगा कि गोद में लैपटॉप रखकर वाई-फ़ाई का अकसर प्रयोग करने वाले पुरूषों की प्रजनन क्षमता पर क्या प्रभाव पड़ता है.'' डॉक्टर ऐलन पेसी का मानना है कि पुरूषों को फिर भी ज्यादा देर तक लैपटॉप को गोद में रख कर प्रयोग करने से बचना चाहिए।
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