- प्री पीएचडी कैंडिडेट्स की काउंसलिंग से ठीक पहले कॉमर्स के सुपरवाइजर की लिस्ट में यूनिवर्सिटी एडमिनिस्ट्रेशन ने किया खेल
- सुपरवाइजर के लिए लेटर जारी होने के बाद भी चार सीनियर प्रोफेसर्स के नाम काटकर दूसरे प्रोफेसर्स के नाम डाले, लिस्ट नहीं की डिस्प्ले
KANPUR: प्री पीएचडी कोर्स को लेकर सीएसजेएमयू एडमिनिस्ट्रेशन का खेल लगातार जारी है। प्री पीएचडी कोर्स वाले कैंडिडेट्स की रिसर्च वर्क के लिए काउंसिलिंग में कॉमर्स के सुपरवाइजर की लिस्ट को डिस्प्ले नहीं किया गया। सोर्सेज के मुताबिक, पहले से तैयार सुपरवाइजर की लिस्ट कई सीनिनयर प्रोफेसर के नाम गायब है जिनके अंडर में कैंडिडेट्स पीएचडी कर चुके हैं। पीपीएन कॉलेज के दो प्रोफेसर्स कॉमर्स की लिस्ट से गायब हैं। जबकि यूनिवर्सिटी बाकायदा इन्हें सुपरवाइजर होने का लेटर जारी कर चुकी थी।
गोलमाल छिपाने के लिए
सीएसजेएमयू सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार कॉमर्स की सुपरवाइजर की लिस्ट में खेल किया गया। पहले 20 प्रोफेसरों के नाम सुपरवाइजर की लिस्ट में रखे गए। काउंसिलिंग से ठीक पहले वीएसएसडी कॉलेज के तीन और डीएवी कॉलेज के एक प्रोफेसर का नाम लिस्ट में बढ़ाया गया। इसी गोलमाल को छिपाने के लिए लिस्ट का डिस्प्ले नहीं किया गया। कॉमर्स में पीएचडी के 12 कैंडिडेट्स रजिस्टर्ड किए गए हैं। जिसमें 6 कैंडिडेट्स डीएवी कॉलेज के प्रोफेसर्स को आवंटित किए गए। 5 कैंडिडेट्स वीएसएसडी कॉलेज के प्रोफेसर्स को आवंटित किए गए और 1 कैंडिडेट क्राइस्टटचर्च कॉलेज के प्रोफेसर को आवंटित किया गया है।
एक साल अनुभव, कराएंगे पीएचडी
सुपरवाइजर की लिस्ट में किए गए खेल में सबसे चौकाने वाली बात ये है कि महज एक साल का एक्सपीरियंस वाले प्रोफेसर को भी पीएचडी का सुपरवाइजर बना दिया गया है। पीपीएन कॉलेज में एक साल पहले एक टीचर ने कार्यभार ग्रहण किया था। प्री-पीएचडी की काउंसिलिंग में इस फैकल्टी मेंबर को एक छात्र आवंटित कर दिया गया है। जबकि इस कॉलेज में तीन सीनियर प्रोफेसर हैं जिन्हें सुपरवाइजर बनाना चाहिए। अपनी सफाई में यूनिवर्सिटी प्रशासन 2009 की रुलिंग का हवाला दे रही है। ऐसे सवाल ये है कि सारे कॉलेजों के प्रोफेसर को बाहर क्यों नहीं किया जा रहा है। अब तो नेट क्वॉलीफाई टीचर का नॉर्म्स आ गया है।