फ़रवरी 2011 में बेनग़ाज़ी शहर में एक मानवाधिकार कार्यकर्ता की मौत के साथ शुरू हुआ हिंसक विद्रोह जल्द ही पूरे देश में फैल गया जिसका अंत 20 अक्तूबर 2011 को मुअम्मर गद्दाफ़ी की मौत के साथ हुआ। इसके तीन दिन बाद ही मुख्य विपक्षी दल, नेशनल ट्रांज़िशनल काउंसिल, ने लीबिया को 'आज़ाद' घोषित कर दिया।
गद्दाफ़ी के तीन बेटे विद्रोह में मारे गए थे जिनमें पूर्व राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार मुतासिम गद्दाफ़ी भी शामिल थे जिन्हें विद्रोहियों ने उसी दिन मारा जिस दिन उनके पिता की मौत हुई।
इसके साथ ही गद्दाफ़ी के 42 वर्ष का शासन भी समाप्त हो गया। लेकिन उनके परिवार के कई सदस्य और अधिकारी अभी जीवित हैं। चलिए जानते हैं मुअम्मर गद्दाफ़ी के परिवार और नज़दीकी अधिकारी अभी कहाँ और किस हाल में हैं।
साफ़िया गद्दाफ़ी (पत्नी)
साफ़िया फ़रकास, मुअम्मर गद्दाफ़ी के आठ में से सात बच्चों की मां हैं। वे पिछले एक साल से अल्जीरिया में हैं जहां उन्हें 'मानवीय कारणों' से शरण दी गई।
साफ़िया, उनकी बेटी आयशा और गद्दाफ़ी की पहली पत्नी फ़तिहा के बेटे 29 अगस्त 2011 को उस वक्त अल्जीरिया पहुंचे थे जब विद्रोही लीबिया की राजधानी त्रिपोली पर कब्ज़ा कर रहे थे।
माना जा रहा है कि वे राजधानी अल्जीयर्स के पास स्टाउएली शहर में एक सुरक्षित मकान में रह रही हैं और अल्जीरियाई सरकार ने उन्हें लीबिया के मामलों में दखलअंदाज़ी नहीं करने और सार्वजनिक राजनीतिक टिप्पणियां नहीं करने के सख़्त आदेश दिए हैं।
सैफ़ अल-इस्लाम गद्दाफ़ी (बेटा)
मुअम्मर गद्दाफ़ी के पूर्व उत्तराधिकारी सैफ़ अल-इस्लाम को उनके पिता की मौत के एक महीने बाद पकड़ा गया था और तब से वो ज़िन्टान शहर में क़ैद में हैं।
लंदन स्कूल ऑफ़ इकॉनॉमिक्स से स्नातक की पढ़ाई करने वाले सैफ़ पर अंतरराष्ट्रीय आपराधिक अदालत मानवता के ख़िलाफ़ अपराधों के लिए मुक़दमा चलाना चाहता है। दूसरी तरफ़ लीबियाई अदालतें इस बात पर ज़ोर देती रही हैं कि उनके ख़िलाफ़ लीबिया में ही मुक़दमा चलना चाहिए।
फ़िलहाल ऐसा लगता है कि ये बाज़ी लीबियाई न्यायपालिका के पक्ष में गई है लेकिन सैफ़ के मुक़दमे की तारीख़ अभी तय नहीं हुई है। ऐसी ख़बरें आ रही थीं कि त्रिपोली में सैफ़ के लिए एक नया नज़रबंदी गृह बनाया गया है जिसमें एक बास्केटबॉल कोर्ट और उनका निजी रसोइया भी होगा।
मोहम्मद गद्दाफ़ी (बेटा)
कर्नल गद्दाफ़ी की पत्नी की ही तरह उनके बेटे मोहम्मद ने भी पिछले एक साल से ज़्यादा समय अल्जीरिया में बिताया है। वे मुअम्मर गद्दाफ़ी और उनकी पहली पत्नी फ़तिहा की बेटे हैं। वे लीबिया में मोबाइल फ़ोन और उपग्रह संचार तंत्र को चलाने वाली कंपनी के भी अध्यक्ष थे।
अंतरराष्ट्रीय आपराधिक अदालत, आईसीसी, ने उन्हें पर कोई आरोप नहीं लगाया है और माना जाता है कि पिछले वर्ष हुए विद्रोह को दबाने में उनकी कोई बड़ी भूमिका नहीं थी।
सादी गद्दाफ़ी (बेटा)
लीबियाई फ़ुटबॉल फ़ेडरेशन के पूर्व अध्यक्ष सादी गद्दाफ़ी ने भाग कर अफ़्रीकी देश निजेर में शरण ली जहाँ राजधानी निआमेय में वो एक राजकीय गेस्टहाउस में रहते हैं।
सादी इतालवी फ़ुटबॉल से भी जुड़े थे लेकिन उनका ये करियर नशीले पदार्थों के सेवन और रसिक जीवन शैली की वजह से थोड़े समय में ही ख़त्म हो गया।
लीबिया की सादी के प्रत्यर्पण की मांग को निजेर ने ठुकरा दिया है। वहाँ के क़ानून मंत्री का कहना है कि 'उन्हें यक़ीन है कि लीबिया में सादी को मौत की सज़ा मिलेगी'। इस वर्ष सितंबर में इंटरपोल ने सादी के लिए 'रेड नोटिस' जारी किया था जिसके तहत सदस्य देशों को उन्हें क़ैद करना ज़रूरी हो जाता है।
आयशा गद्दाफ़ी (बेटी)
कर्नल मुअम्मर गद्दाफ़ी की बेटी आयशा को उनकी मां और भाई मोहम्मद के साथ अल्जीरिया ने शरण दी है। अल्जीरिया पहुंचने के तीन दिन बाद घोषणा हुई थी कि आयशा ने एक बेटी को जन्म दिया है जिसे उन्होंने अपनी मां का नाम, साफ़िया, दिया।
अल्जीरियाई सरकार की कड़ी निगरानी के बावजूद आयशा ने एक सीरियाई टीवी चैनल के ज़रिए लीबिया वासियों को नई सरकार के ख़िलाफ़ 'विद्रोह' करने का आह्वान किया था। साथ ही आयशा ने एक इसरायली वकील, निक क़ॉफ़मैन, के ज़रिए आईसीसी में अपने पिता की मौत की जांच की याचिका दायर की है।
मूसा इब्राहिम ( पूर्व सरकारी प्रवक्ता)
विद्रोह के बाद से मूसा इब्राहिम के बारे में कोई जानकारी नहीं है। गद्दाफ़ी के शासन के दौरान वे लगभग हर रोज़ अंतरराष्ट्रीय और राष्ट्रीय पत्रकारों को संबोधित करते थे।
मुअम्मर गद्दाफ़ी की ही तरह मूसा इब्राहिम ने भी कई ब्रितानी विश्वविद्यालयों में पढ़ाई की और उनका दावा था कि वे 15 साल तक लंदन में रहे।
विद्रोहियों द्वारा त्रिपोली पर कब्ज़ा करने से पहले मूसा इब्राहिम को आखिरी बार वहां देखा गया था। तब से उनकी क़ैद के बारे में कई अवफ़ाहें उड़ी हैं लेकिन अब तक सभी ग़लत साबित हुई हैं।
मूसा कुसा (विदेशी खु़फ़िया विभाग के पूर्व अध्यक्ष)
मुसा कुसा का शुमार गद्दाफ़ी शासन के सबसे ताक़तवर लोगों में होता था। लेकिन विद्रोह शुरु होने के एक महीने बाद वे ब्रिटेन होते हुए ट्यूनीशिया भाग गए। अब वो क़तर में रहते हैं। वर्ष 1994 से 2009 के बीच वे लीबिया के ख़ुफ़िया विभाग के अध्यक्ष थे जिसके बाद वे विदेश मंत्री बने।
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