कानपुर (ब्यूरो) डीसीपी पूर्वी प्रमोद कुमार ने बताया कि लॉकर इंचार्ज शुभम मालवीय और लॉकर कंपनी के कर्मचारी चंद्रपाल की छह महीनों की सीडीआर निकलवाई गई थी। ये तो पहले ही पता चल चुका था कि शुभम 9 दिसंबर को जब आखिरी बार लॉकर तोड़े गए थे, उस दिन रात को स्वरूपनगर में था। मगर, सीडीआर ने स्थिति बिल्कुल स्पष्ट कर दी है। सामने आया है कि सितंबर में दो बार और दिसंबर में एक बार जब बे्रक ओपन लॉकर तोड़े गए तो उस दिन दोनों की लोकेशन स्वरूप नगर में थी।

कभी नहीं मिली लोकेशन
खास बात यह है कि इसके अलावा छह महीने में कभी भी दोनों इस क्षेत्र में नहीं आए। लोकेशन के आधार पर पुलिस वहां पहुंची तो उस क्षेत्र में कई ज्वैलर्स की दुकानें मिलीं। पुलिस को पुख्ता यकीन है कि जेवरात इनमें से ही किसी सर्राफ को बेचे गए हैं। तकनीक का प्रयोग करके क्राइम ब्रांच मोबाइल लोकेशन को और अधिक पुख्ता करने की कोशिश कर रही है, ताकि आरोपी सर्राफ तक पहुंचा जा सके।

70 लाख की कोठी
रिमांड के दौरान विवेचक लखनऊ के पॉश इलाके गोमती नगर स्थित माधवग्रीन टाउनशिप में पहुंचे थे। यहां पर लॉकर इंचार्ज शुभम मालवीय की एक निर्माणाधीन कोठी का पता चला था। पुलिस ने इस कोठी का मूल्यांकन कराया तो उसका बाजार मूल्य 70 लाख रूपये आंका गया। गैंगस्टर की कार्रवाई के बाद पुलिस इस कोठी को कुर्क करने की तैयारी में है।

आज दोबारा रिमांड के लिए अर्जी
पुलिस सेंट्रल बैंक आफ इंडिया के मैनेजर रामप्रसाद, लाकर इंचार्ज शुभम मालवीय और लाकर कंपनी के कर्मचारी चंद्रपाल को दोबारा रिमांड पर लेगी। इसके लिए अदालत में सोमवार को अर्जी दाखिल करेगी। वहीं दूसरी ओर पुलिस इस मामले में आरोपितों का नार्को टेस्ट कराने की तैयारी में है। पुलिस को शक है कि अब तक पूछताछ में तीनों अभियुक्त घटनाक्रम से जुड़े कई सवाल छिपा रहे हैं।