कानपुर(ब्यूरो)। बिधनू में रोड किनारे खड़ी ट्रैक्टर टॉली में बाइक टकराने से तीन की मौत हो गई। सारे कायदे-कानून तोडक़र मनमानी कर रही टै्रक्टर ट्रालियां लगातार हादसे की वजह बन रही हैं। क्योंकि कुछ दिन तक तो नियम कानून फॉलो किए जाते हैं। इसके बाद सबकुछ पुराने ढर्रे पर चलने लगता है। जिम्मेदार विभाग और अधिकारी आंखें बंद कर लेते हैं। इस तरह के बेवजह खड़े वाहनों को रोकने की जिम्मेदारी एनएच और कमिश्नरेट की है। लेकिन हाईवे पर तैनात पुलिस कर्मियों को इस कानून की जानकारी तक नहीं है। रामादेवी में ट्रैफिक ड्यूटी पर तैनात ट्रैफिक एसआई अशोक कुमार का कहना है कि अगर हाईवे पर वाहन खराब हो जाएगा तो उसे हटाने के लिए तभी पुलिस जाएगी, जब वाहन स्वामी सूचना देगा।

ये हैं पुराने हादसे
चकेरी: 3-10-222
मुंडन कराने जा रहे पांच की मौत
उस्मानपुर इलाके में रहने वाला परिवार बच्चे का मुंडन कराने विंध्याचल पिकअप गाड़ी से जा रहे थे। रास्ते में ही गाड़ी का पहिया पंचर हो गया, जिसके बाद सामने खड़े ट्रक में पिक-अप जा घुसी। ये सडक़ हादसा अहिरवां फ्लाई ओवर पर हुआ था। हादसे में एक ही परिवार के पांच लोगों की मृत्यु हुई थी। जबकि सात लोग गंभीर रूप से घायल हो गए थे।

साढ़: 2-10-2022
ट्रैक्टर ट्रॉली पलटी, 26 की मौत
कानपुर के कोरथा गांव के लोगों के लिए 2 अक्टूबर 2022 की शाम कहर बनकर टूटी। सडक़ हादसे में इस गांव के 26 लोगों की मौत हो गई। भीतरगांव मार्ग पर पानी से भरे तालाब में ट्रैक्टर-ट्रॉली पलटने से 12 महिलाएं, 9 बच्चे और 5 किशोर की जान चली गई। सभी चंद्रिका देवी के दर्शन कर अपने गांव लौट रहे थे।
सचेंडी: 08-06-2021
टेम्पो-बस की टक्कर में 18 की मौत
सचेंडी किसान नगर नहर के पास 8 जून 2021 को बड़ा हादसा हुआ था। सी कर्व के पास एक डीसीएम सडक़ किनारे खड़ा था। इसी बीच कानपुर की तरफ से एक टूरिस्ट बस जा रही थी। अचानक डीसीएम देख बस ड्राइवर ने कंट्रोल करने की कोशिश की। इसी बीच एक ओवरलोड टैम्पो से बस टकरा गई। इस हादसे में लाल्हेपुर निवासी 14 लोगों की मौके पर ही मौत हो गई थी, जबकि चार लोगों की इलाज के दौरान मौत हुई थी।

न एनएच न पुलिस निभा रही जिम्मेदारी
हाईवे हो या नेशनल हाईवे। सडक़ किनारे खड़े वाहनों को हटाने की जिम्मेदारी नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया की होती है। हाईवे पर टोल टैक्स लिया जाता है। यहां सडक़ किनारे खड़े वाहनों को हटाने के लिए पेट्रोलिंग वैन और पेट्रोलिंग पार्टी होती हैं। हादसे के वक्त या सडक़ किनारे खड़े वाहनों को हटाने की जिम्मेदारी इस पेट्रोलिंग पार्टी की होती है, लेकिन फ्यूल बचाने के चक्कर में ये पार्टी बहुत कम पेट्रोलिंग करती दिखाई देती हैं। लगातार हो रहे हादसों के बाद कमिश्नरेट पुलिस को जिम्मेदारी सौंपी गई थी कि वे सडक़ पर खड़ी गाडिय़ों को हटवाएं और चालान करें। गाड़ी खराब होने की स्थिति में टोचिंग कराकर उसे हटवाएं। लेकिन लापरवाही की वजह से दोनों विभाग ही काम नहीं कर रहे हैं।

25 महीने में केवल चार चालान
हादसों के बाद हर विभाग कानून बनाता है, लेकिन वक्त के साथ-साथ कानून की धज्जियां उड़ती हुई नजर आती हैं। 25 महीने पहले सचेंडी हाईवे पर हादसा हुआ था, इस हादसे में कई परिवारों के लोग मारे गए थे। उस समय शासन से सीनियर ऑफिसर्स ने हाईवे पर बेवजह खड़े वाहनों का 5000 रुपये चालान और सीज करने का आदेश जारी किया था। एनएच को चालान का अधिकार नहीं है। पुलिस विभाग के आंकड़ों की मानें तो इन 25 महीनों में राजस्थान और गुजरात की चार गाडिय़ों के चालान किए गए हैं। इन वाहनों के अलावा पुलिस को हाईवे पर बिना वजह खड़े वाहन नहीं दिखाई दिए।

हाईवे पर बेवजह खड़े वाहनों की जांच लगातार की जाती है। जो वाहन बेवजह खड़े मिलते हैं। उनके खिलाफ कार्रवाई भी की जाती है।
रवीना त्यागी, डीसीपी ट्रैफिक

रात के समय वाहन खड़ा करते समय ध्यान रखें
- गाड़ी के आगे पीछे 10 मीटर की दूरी तक रेडियमयुक्त ट्राएंगल लगा दें। जिससे पीछे वाली गाड़ी अपना रास्ता बदल सके।
- संभव हो तो गाड़ी का ब्लिंकर जलाकर रखें, जिससे पीछे या आगे से आने वाला व्हीकल ओनर अलर्ट हो जाए।
- टार्च जलाकर गाड़ी के पीछे, गाड़ी से संबंधित किसी व्यक्ति को खड़ा कर दें।
- गाड़ी में आगे और पीछे रेडियम लाइट लगाएं, जिससे अंधेरे में खड़ी गाड़ी की जानकारी हो सके।
- कोहरे के दौरान गाड़ी से लगभग 50 कदम की दूरी पर आग जला दें