- सचेंडी हादसे में मारे गए लाल्हेपुर के 14 लोगों के शव गांव पहुंचे तो मच गया कोहराम, अपनों के शव देख बेहाल हो उठे परिजन
- ईश्वरीगंज में भी गम में डूबे परिजन, 5 किमी का एरिया बनाया छावनी, कई थानों का फोर्स रहा तैनात, दोपहर बाद बिठूर में अंतिम संस्कार
kanpur : जहां से रोजाना हंसी ठिठोली, गीत-संगीत, ट्यूबवेल और चक्की की गूंज सुनाई देती आज वहां हर तरफ दर्द, तकलीफ, आंसू, करुण क्रंदन और अपनों के जाने का गम पसरा हुआ था। गांव के छोर से दूसरे छोर तक मातम ही मातम। किसी ने भाई खोया तो किसी ने बेटा तो किसी ने परिवार चलाने वाले पिता को। गांव में दुखों का इतना बड़ा पहाड़ पहले कभी नहीं टूटा था। सचेंडी हादसे में मारे गए गांव के 14 लोगों के शव पोस्टमार्टम के बाद जब लाल्हेपुर गांव पहुंचे तो आंसुओं का सैलाब उमड़ पड़ा। बड़े से बड़ा पत्थर दिल का भी कलेज मुंह को आ गया। सांत्वना देने और ढांढस बंधाने वाले भी कम पड़ गए। जिस तरफ नजर जाती उधर ही शव के साथ विलाप करते लोग दिख रहे थे। घरों में चूल्हे नहीं जले।
पूरी रात चलता रहा पोस्टमॉर्टम
सचेंडी में हुए भीषण सड़क हादसे के बाद जब लोगों के शव अस्पताल लाए गए तो परिजन शव की मांग कर रहे थे। जिसे देखते हुए जिला प्रशासन ने सभी शवों का पोस्टमार्टम देर रात से लेकर भोर पहर तक करा दिया। सुबह परिजनों के साथ शव लेकर पुलिस गांव पहुंची। आउटर इलाके के सभी थानों की पुलिस के साथ पीएसी और स्वाट के जवान भी मौके पर बुला लिए गए थे।
ईश्वरीगंज में रखे गए चार शव
गांव की शुरुआत होते ही हादसे में मृत सुरेंद्र सिंह का शव रखा गया था। उनके परिवार में पत्नी सुनीता व चार बच्चे निखिल, सोनम, अंजू और रुचि हैं। बड़ी बेटी नीलम की शादी हो चुकी है। रुचि की शादी की तैयारियां चल रही थीं। हादसे ने पूरे परिवार के सपने चकनाचूर कर दिए। पड़ोस में ही 45 साल के बलबीर का शव रखा हुआ था। पत्नी गुडि़या व चार बच्चे पंकज, सचिन, रोशनी और पूजा पास ही विलाप करते दिखाई दिए। कोई आधा किलोमीटर की दूरी पर स्कूल के सामने बरगद के पेड़ के नीचे धनीराम का शव रखा था। धनीराम के परिवार में पत्नी लीलावती व तीन बच्चे विनोद, राहुल और मनोज हैं। चंद कदमों की दूरी पर भानू प्रताप के बेटा सूरज सिंह उर्फ अन्नू का शव लोडर में रखा था। सूरज के परिवार में मां मालती और छोटा भाई अंशू है।
बाग में 13 शव और मचा कोहराम
कोई तीन किलोमीटर की दूरी पर दूसरा गांव लाल्हेपुर। जहां से मृतकों की संख्या 14 हो गई है। हादसे में मृत 46 साल के ज्ञानेंद्र सिंह की पत्नी रन्नो देवी, दो लड़के रोहित और राजन व चार बेटियां सोनम, रेनू, रागिनी और कोमल हैं। तीन बेटियों की शादी हो चुकी है। कोमल और राजन की शादी की तैयारियां चल रही थीं लेकिन नियति को कुछ और ही मंजूर था। तीन महीने पहले ही वे फैक्ट्री में नौकरी करने गए थे। ठेकेदार प्रकाश ही उसे नौकरी पर ले गया था। यहां दूसरा शव 21 साल के गोलू का था। गोलू के परिवार में मां सुमन, दो बहने हैं। पिता किसान हैं। वह तीन साल से फैक्ट्री में काम कर रहा था। शाम सात बजे ही घर से निकला था। 7:50 पर हादसे की सूचना पहुंची तो कोहराम मच गया।
चल रही थीं शादी की तैयारियां
यहां तीसरा शव 45 साल के उदय नारायन का था। उदय 8 साल से काम कर रहे थे। परिवार में चार बेटियां रन्नो, सन्नो, रूबी और रीता हैं। चारों की शादी हो चुकी है। बेटा कुलदीप बीमार रहता है और बैरी बागपुर के अस्पताल में भर्ती है। पड़ोस में ही 40 साल के करन यादव का शव रखा दिखा। यहां भी कोहराम मचा था। परिवार में पत्नी उर्मिला और तीन बच्चे सपना, काजल और विवेक हैं। एक बेटी दिव्यांग है। काजल की शादी की तैयारी चल रही थी। पांचवां शव 22 साल के शिवचरन का था। उनके परिवार में मां रानी और दो बच्चे हैं। पिता कमलेश मजदूरी करते हैं। 28 साल के अंकुश के परिवार में मां माधुरी और तीन भाई हैं। अंकुश के भाई अंकित हादसे में गंभीर रूप से घायल हो गया। वहीं 20 साल के रजनीश उर्फ रंजीत के परिवार में मां सरस्वती और दो भाई हैं।
दो परिवारों के खत्म हो गए वंश
आम के बाग में इन्हीं शवों के बीच त्रिभुवन के दो बेटों धर्मराज और गौरव के शव भी रखे दिखाई दिए। परिवार में मां शारदा और त्रिभुवन को दोनों बेटों की मौत ने अंदर से झिंझोड़ कर रख दिया। वहीं धनीराम के तीन बेटे 24 साल के राममिलन, 22 साल के शिवभजन और 20 साल के लवलेश को भी हादसे ने छीन लिया। वहीं यहां रखा अंतिम शव 17 साल के सुभाष का था। सुभाष के परिवार में मां ऊषा, एक छोटा भाई सौरभ और बहन ि1शवानी है।
परिजनों को सौंपे गए चेक
लाल्हेपुर के ठीक बाहर आम के बाग में पुलिस प्रशासन के अधिकारी और गांव की महिलाएं इकट्ठा हुई थीं। पूरे बाग में जगह जगह शव रखे थे और अपने परिजनों के शवों के पास लोग मातम मना रहे थे। दोपहर बाद जब परिजनों को चेक दिए गए। उसके बाद शवों को अंतिम संस्कार के लिए बिठूर ले जाया गया।