कानपुर (ब्यूरो) यतीमखाने से नमाज पढ़कर निकले 12 साल के साजिद ने दैनिक जागरण आई नेक्स्ट को बताया कि अब्बू बता रहे थे कि पत्थर चल सकते हैं लेकिन हम लोग जिद करके आ गए। अंकल, ये बताइए कि यहां इतनी पुलिस क्यों है? कोई बोलता उसके पहले ही साजिद के पिता ने उसे बुला लिया। हर किसी का यही कहना था कि हम नहीं चाहते कि शहर के अमन चैन में खलल पड़े।

ये कानपुर है
नमाज पढ़कर निकले 65 साल के एहसान ने बताया कि बचपन से जवानी और जवानी से बुढ़ापा आ गया। कई दंगे देख डाले लेकिन ये कानपुर है। यहां जाजमऊ में दरगाह शरीफ है तो शहर के हर कोने मेें हिंदू भाइयों के देवी देवता भी विराजमान हैैं। यहां कोई कुछ नहीं कर सकता। इसी तरह दूसरे नमाजी भी नमाज पढऩे के बाद शांतिपूर्वक घर जाते दिखाई दिए।