- हर साल शहर में दो फीट से ज्यादा गिर रहा है ग्राउंड वाटर लेवल
- शहर में बढ़ती वॉटर क्राइसिस के बावजूद जल संरक्षण को लेकर लोग नहीं हैं अवेयर
-लीकेज लाइनों और गाडि़यों की धुलाई में रोजाना बर्बाद होता है लाखों लीटर पानी
KANPUR: सिटी में हर साल ग्राउंड वाटर लेवल लगभग दो फीट गिर रहा है। सबसे चिंताजनक स्थिति साउथ सिटी की है। जहां के कई मोहल्लों में एक मीटर से ज्यादा ग्राउंड वाटर लेवल गिर रहा है। जिसके चलते ड्रिकिंग वॉटर क्राइसिस बढ़ती जा रही है। पानी के लिए ज्यादातर मोहल्लों में लंबी-लंबी लाइनें लगती हैं। पानी के लिए आए दिन झगड़ा, मारपीट, हंगामा और प्रदर्शन की खबरें भी आती हैं। इसके बाद भी पानी की जमकर बर्बादी हो रही है। जिसके लिए पब्लिक से लेकर जलकल विभाग तक जिम्मेदार है।
नहीं चेते तो भयावह होंगे परिणाम
शहर में ब्रिटिश पीरियड की पड़ी वॉटर लाइन जर्जर हो चुकी हैं। लीकेज लाइनों के कारण पानी बर्बाद होता है। वहीं कार-बाइक आदि गाडि़यों की धुलाई, कूलर में ड्रिकिंग वाटर के यूज, नलों का खुला छोड़ देने व टपकते रहने आदि वजहों से भी ड्रिकिंग वाटर बर्बाद हो जाता है। जानकारों का कहना है कि अगर अभी भी पानी की बर्बादी रोकने को हम सचेत नहीं हुए तो आने वाले समय में परिणाम भयावह होंगें।
जलकल के प्रयास नाकाफी
सिटी में वाटर सप्लाई के लिए 520 एमएलडी पानी की जरूरत है। पर जलकल डिपार्टमेंट केवल 410 एमएलडी ड्रिकिंग वाटर सप्लाई कर पाता है। इसमें से 15 परसेंट यानि कि 60 एमएलडी से अधिक लीकेज लाइनों के कारण बर्बाद हो जाता है। पिछले वित्तीय वर्ष में करीब 1700 जगहों पर वाटर सप्लाई लाइन लीकेज हुई थी। जलकल जीएम जवाहर राम के मुताबिक, जर्जर लाइनों की वजह से समस्या है। अगले साल नई मेनलाइन व डिस्ट्रिब्यूशन लाइन से वाटर सप्लाई चालू हो जाने से लीकेज के कारण पानी बर्बाद नहीं होगा।
अनमोल है पानी
ड्रिकिंग वाटर की बर्बादी की एक और वजह कार, बाइक आदि गाडि़यों की धुलाई है। जानकारों की मानें तो एक बाइक धुलने में करीब 100 लीटर और कार में 200 लीटर तक पानी लग जाता है। सबमर्सिबल पम्प के जरिए पाइप से सीधे गाड़ी धुलने में और भी ज्यादा पानी बर्बाद होता है। आरटीओ कानपुर में 5.09 लाख कारें और 29.20 लाख बाइक, स्कूटी आदि गाडि़यां रजिस्टर्ड हैं। इससे गाडि़यों की धुलाई में पानी की बर्बादी का अन्दाजा खुद ही लगाया जा सकता है। इसी तरह गर्मी से बचने के लिए घर, दुकानों में कूलर का यूज किया जाता है। शहर में 2 लाख के लगभग कूलर लगे हुए हैं। हर रोज एक कूलर में 80 से 100 लीटर पानी लग जाता है।
ऐसे बचा सकते ड्रिकिंग वाटर
-सेविंग या टूथब्रश करते समय नल खुला न छोड़ें।
- वॉशिंग मशीन में रोज कपड़े धुलने की बजाए इकट्ठा धुलाई से पानी की बचत होगी।
- नल या पाइप लीक हो रहा है तो तुरन्त उसे सही कराएं। तब तक पानी की बर्बादी रोकने के लिए लीकेज प्वाइंट के नीचे बॉल्टी या टब रख दें।
-शॉवर की बजाए नहाने के लिए बाल्टी का यूज करें।
-सिंक या नाली की सफाई करने में भी पानी की बर्बादी होती है। इसलिए सिंक व नाली में ऐसी गन्दगी न बहाए जिससे वह जाम हो जाएं।
-वाशिंग मशीन से निकला पानी, नहाने व दाल-चावल व सब्जी आदि धुलने के पानी का यूज गार्डेन में करें। इससे सिंचाई में यूज होने वाला ड्रिकिंग वाटर बचेगा।
-रोज कार, बाइक आदि गाड़ी धुलने की बजाए गीले कपड़े से साफ करें। जरूरत होने पर पाइप की जगह गाड़ी धुलने के लिए बाल्टी का यूज करें।
ग्राउंड वाटर लेवल का हॉल
मोहल्ला- 2013(मी.में)- 2014(मी.में) - जलस्तर गिरा(मी.में)
गुजैनी अंबेडकर नगर- 10.65 मी.- 11.90 मी। - 1.25 मी।
गोपाल नगर- 16.95 मी.- -17.85 मी। - 1.10 मी।
बाबूपुरवा थाना- 16.85 मी.- 17.95 मी। - 1.10 मी।
एजूकेशन सेंटर श्यामनगर- 23.05 मी.- 24.20 मी। - 1.15 मी।
हरजेन्दर नगर- 29.10 मी.- 30.10 - 1.0 मी।
चाचा नेहरू बासमंडी- 24.05 मी.- 24.55 मी.- 0.50 मी।
संजय वन कि.न। - 27.77 मी.- 27.90 मी। - 0.13 मी।
पीएसी कैम्पस, श्यामनगर- 19.90- 20.12- 0.22 मी।
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