वॉशिंगटन पोस्ट अख़बार ने ये बात स्वीकार करते हुए गलती मानी है।
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उन्होंने अपनी रिपोर्ट में भारतीय पत्रिका कारवां (Caravan) की रिपोर्ट से कुछ अंश लिए थे। हालांकि अखबार ने गलती मानी है लेकिन कारवां से कोई माफी नहीं मांगी है।
कारवां पत्रिका ने वर्ष 2011 में प्रधानमंत्री पर एक विश्लेषणात्मक लेख छापा था जिसे विनोद के जोस ने लिखा था। इस लेख के लिए विनोद के जोस ने इतिहासकार रामचंद्र गुहा और प्रधानमंत्री के पूर्व मीडिया सलाहकार संजय बारु समेत कई लोगों से बात की थी।
वॉशिंगटन पोस्ट ने अपनी रिपोर्ट में कारवां के इस लेख में राम गुहा और संजय बारु के दिए गए बयानों को प्रमुखता से छापा लेकिन कारवां का ज़िक्र नहीं किया था.जब यह बात सामने आई तो वॉशिंगटन पोस्ट ने अपनी रिपोर्ट में करेक्शन छापते हुए कहा है कि कुछ टिप्पणियां कारवां मैगजीन से ली गई हैं।
माफी मांगे वॉशिंगटन पोस्ट
इस बारे में जब बीबीसी ने कारवां के एसोसिएट एडीटर विनोद के जोस से बात की तो उनका कहना था, ‘‘ जो कोई भी वॉशिंगटन पोस्ट और कारवां पढ़ता है उसे समझ में आ गया होगा कि कई बातें हमारी पत्रिका से ली गई हैं।
करेक्शन तो आया है लेकिन माफी नहीं मांगी गई है। मुझे उम्मीद है कि वो औपचारिक रुप से माफी मांगेगे और अफसोस प्रकट करेंगे। अगर वो ऐसा करते हैं तो ये पत्रकारिता के लिए अच्छा होगा। ये मेरे लेख या मेरी पत्रिका की बात नहीं है। माफी एक अच्छा संकेत होगा.’’
विनोद का कहना था कि उन्हें इस बाबत राम गुहा से ही पता चला जब राम गुहा ने उन्हें फोन पर बताया कि वॉशिंगटन पोस्ट की जिस रिपोर्ट पर सरकार में इतना बवाल मचा है उसके कुछ महत्वपूर्ण अंश कारवां से लिए गए हैं।
वॉशिंगटन पोस्ट में इस रिपोर्ट को दक्षिण एशिया में उनके ब्यूरो चीफ साइमन डेनयर ने लिखा है। साइमन ने ट्विटर पर लिखा था कि उन्होंने राम गुहा और संजय बारू से बात की है।
उधर संजय बारू ने फेसबुक पर लिखा कि साइमन डेनयर ने उनसे बात ही नहीं की बल्कि कारवां में उनके इंटरव्यू में से टिप्पणियां ले लीं। यह पूरा मामला टिप्पणियां चुराने का बनता है यानि कि बड़े अखबार भी अब इधर उधर से सामग्री चुरा रहे हैं।
ज़ाहिर है ये बात सामने आ गई है तो वॉशिंगटन पोस्ट जैसी पत्रिका के लिए शर्मिंदगी का सबब होगी लेकिन ये कोई नया नहीं है।
इससे पहले जाने माने लेखक फरीद ज़कारिया पर भी न्यूयार्कर की एक रिपोर्ट के अंश चुराने का मामला सामने आया था जिसके बाद उन्होंने माफी भी मांगी थी। भारतीय अखबारों में हिंदुस्तान टाइम्स के एक पूर्व संपादक पर भी लेख
चुराने का आरोप लग चुका है जिसके बाद उन्हें पद से इस्तीफा देना पड़ा था।
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