कानपुर (ब्यूरो)। शहर के चर्चित डीबीएस कॉलेज छात्रनेता मर्डर केस में गुरुवार को बहस के बाद फैसला सुरक्षित कर लिया गया है। अब 27 मार्च को कोर्ट इसमें अपना फैसला सुनाएगी। डीबीएस कॉलेज छात्र संघ चुनाव के दौरान अध्यक्ष प्रत्याशी मनोज सिंह और संदीप ठाकुर का जुलूस आमने-सामने आ गया था। इस दौरान दोनों गुटों से जमकर नारेबाजी फिर ताबड़तोड़ फायरिंग हुई थी। इसमें प्रत्याशी मनोज के साथी छात्रनेता टोनी यादव की गोली लगने से मौत हो गई थी। अपने समय का यह इतना चर्चित मर्डर केस था कि कानपुर में कफ्र्यू लग गया था और मामला विधानसभा तक में गूंजा था।
बीजेपी के पूर्व कानपुर-बुंदेलखंड क्षेत्रीय उपाध्यक्ष संदीप ठाकुर और दूसरी तरफ बीजेपी नेता व अधिवक्ता मनोज सिंह 2002 में डीबीएस कॉलेज से छात्रसंघ अध्यक्ष का चुनाव लड़ रहे थे। 26 अगस्त 2002 को चुनाव प्रचार के दौरान सैकड़ों छात्रों की भीड़ वाला दोनों का जुलूस बर्रा-2 सब्जी मंडी में आमने-सामने आ गया था। बस फिर क्या संदीप ठाकुर गुट और मनोज सिंह गुट ने एक-दूसरे पर नारेबाजी के बाद ताबड़तोड़ फायरिंग की थी
। इस दौरान मनोज सिंह के साथी दबौली निवासी छात्र नेता टोनी यादव के सिर पर गोली लगने से मौके पर ही मौत हो गई। इसके बाद आक्रोशित छात्रों ने संदीप और उनके समर्थकों को जमकर पीटा था और पुलिस के हवाले कर दिया था। मामले में मृतक टोनी के भाई संदीप यादव की तहरीर पर बर्रा थाने में संदीप ठाकुर, उनके भाई संजीव ठाकुर, पिता जंग बहादुर सिंह और गनर सत्यप्रकाश द्विवेदी के खिलाफ हत्या की एफआईआर दर्ज हुई थी। बवाल इतना बढ़ गया था कि शासन के आदेश पर कॉलेज प्रशासन को चुनाव रद्द करना पड़ा था। अब मामले में 22 साल बाद गुरुवार को एडीजे-2 की कोर्ट ने सुनवाई के बाद फैसला सुरक्षित कर दिया है। अब कोर्ट 27 मार्च को इस छात्रसंघ के जघन्य हत्याकांड में अपना फैसला सुनाएगी।
सीएम तक पहुंचा था मामला, डीसीपी ने मांगी थी आख्या
मामले ने इतना तूल पकड़ लिया था कि कानपुर में लॉ एंड ऑर्डर बिगड़ गया था। छात्र नेताओं का उत्पात चरम पर था। जबकि मामले में लापरवाही करने पर तत्कालीन गोविंद नगर थानेदार पीसी चावला और बर्रा एसओ देवेंद्र मिश्रा सस्पेंड कर दिए गए थे। मामला विधानसभा में गूंजा तो डीजीपी और मुख्यमंत्री ने पूरे मामले में कानपुर कप्तान से मामले में आख्या मांगी थी।
विधानसभा में मामला गूंजा तो आरोपियों पर लगी थी रासुका
छात्र नेता टोनी यादव की हत्या के बाद आक्रोशित छात्र नेताओं ने कानपुर में जमकर आगजनी और बवाल किया था। छात्रों ने प्रदेश व्यापारी आंदोलन किया था। कानपुर के नेता शिव कुमार बेरिया ने मामले को विधानसभा में उठाया था। इसके बाद मामले में आरोपियों पर रासुका की कार्रवाई की गई थी।