अमरीकी प्रतिनिधि सभा और सीनेट के नेताओं ने इस बारे में चर्चा के बाद कहा कि जब तक पाकिस्तान देसी विस्फोटकों के विरुद्ध संघर्ष में सहायता का भरोसा नहीं देता तब तक इस मदद पर रोक रहेगी।
अफ़ग़ानिस्तान में अमरीका और उसके सहयोगी देशों की सेनाओं को निशाना बनाने के लिए देसी विस्फोटकों का इस्तेमाल सबसे प्रभावी तरीक़े से हो रहा है।
इनमें से अधिकतर विस्फोटक अमोनियम नाइट्रेट के इस्तेमाल से बनते हैं और अमरीका मानता है कि ये उर्वरक सीमा पार पाकिस्तान से आम तौर पर आता है। पाकिस्तान को अमरीकी मदद में ये रोक उस रक्षा विधेयक का हिस्सा है जिसके अगले हफ़्ते पारित होने की उम्मीद है।
प्रतिनिधि सभा में रिपब्लिकन पार्टी के सदस्य हॉवर्ड मैकियॉन ने कहा, "अमरीका पाकिस्तान से ये आश्वासन चाहता है कि हमारी सहयोगी सेनाओं को निशाना बनाने के लिए जिन देसी विस्फोटकों का इस्तेमाल हो रहा है उससे निबटने में पाकिस्तान हमारा सहयोग कर रहा है."
अमरीकी खीझ
अमरीका ने 2001 से लेकर अब तक पाकिस्तान को रक्षा और आर्थिक मदद के रूप में लगभग 20 अरब डॉलर दिए हैं। मगर पिछले कुछ समय से पाकिस्तानी रवैये को लेकर अमरीकी प्रशासन में एक खीझ दिखी है।
ऐसे कई प्रस्ताव वहाँ आ चुके हैं जिसमें पाकिस्तान को अमरीकी मदद को हक़्क़ानी नेटवर्क के विरुद्ध उसकी कार्रवाई के साथ जोड़ने के लिए कहा गया है क्योंकि अमरीका मानता है कि अफ़ग़ानिस्तान में अब यही नेटवर्क उसके सैनिकों को निशाना बना रहा है।
सीनेटर जॉन मैकेन ने देसी विस्फोटकों के बारे में पिछले हफ़्ते कहा था, "अफ़ग़ानिस्तान में अमरीकी सैनिकों को निशाना बनाने के लिए जो देसी विस्फोक बनाए जा रहे हैं उसमें इस्तेमाल होने वाली सामग्री पाकिस्तान के दो उर्वरक कारखानों से आती है."
इससे पहले पाकिस्तान में अमरीकी कार्रवाई में ओसामा बिन लादेन की मौत के बाद जुलाई में अमरीका ने पाकिस्तान को दी जाने वाली 80 करोड़ डॉलर की आर्थिक मदद पर भी रोक लगाई थी।
इसके अलावा पिछले दिनों नेटो के एक हमले में पाकिस्तानी सैनिकों की मौत के बाद से दोनों देशों के बीच संबंध तनावपूर्ण हैं और ऐसे में ये घोषणा उस तनाव को और बढ़ा सकती है।
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