कानपुर (ब्यूरो) रानी ने कहा कि उन्होंने पढ़ाई को कभी खुद पर हावी नहीं होने दिया। मैं जो भी पढ़ती थी उसको दूसरे को पढ़ा दिया करती थी। इससे वो प्वाइंट़्स दिमाग में बैठ जाते थे। मेरे घर में मोबाइल फोन नही है। मैं कभी कोचिंग नहीं गई, स्कूल की फीस फिर कोचिंग की फीस चुकाना मेरे घरवालों के लिए संभव नहीं था।
किताब लेकर बैठना नहीं चाहिए
रानी कहती है कि जब मेरा मन होता था तब मैं पढ़ाई करती थी। ऐसा नहीं था कि हर वक्त किताब लेकर बैठी रहूं। क्योंकि, अगर मन नहीं है तो फिर पढऩे का कोई मतलब नहीं है। मैं तभी पढ़ती थी जब मेरा मन करता था। मैथ और इंग्लिश मुझे सबसे ज्यादा पसंद हैं। वह टीचर बनना चाहती हैं।
फीस न भर पाने के चलते क्लास के बाहर किया
रानी के पिता अमरजीत सिंह अपनी पत्नी अनीता और बड़ी बेटी रानी के साथ मुरलीपुर गांव के किनारे स्थित गेंहू के खेत काट रहे थे, जब हम खेत पहुंचे तो उन्हें बेटी रानी की प्रदेश टॉप करने की जानकारी हुई। उन्होंने कहा साहब कई बार फीस न भर पाने के चलते क्लास के बाहर खड़ा होने पड़ा जैसे तैसे पढ़ाया है। बेटी ने मेरा नाम रोशन कर दिया मै इसे आगे मेहनत करके पढ़ाऊंगा उन्होंने बताया कि वह बटाई में खेती लेकर फसल करते है।