कानपुर (ब्यूरो)। बाल शिशु मृत्यु दर में कमी लाने के लिए जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज में देश की दूसरी और प्रदेश की पहली मदर सिक एंड न्यू बोर्न केयर यूनिट (एमएसएनसीयू) की स्थापना की जाएगी। हैलट के पीडियाट्रिक डिपार्टमेंट में बनने वाली 16 बेड की यूनिट को मॉडल के रूप में विकसित किया जाएगा। जहां से कई प्रदेशों को बाल शिशु मृत्यु दर कम करने के लिए ट्रेनिंग दी जाएगी। जीएसवीएम की इस यूनिट की सब यूनिट के रूप में डफरिन अस्पताल को स्थापित करने की योजना है। इसके लिए वल्र्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन, कम्युनिटी एंपावरमेंट लैब और नेशनल हेल्थ मिशन की टीम ने थर्सडे को जीएसवीएम मेडिकल कालेज के पीडियाट्रिक डिपार्टमेंट की सिक एंड न्यू बोर्न केयर यूनिट का इंस्पेक्शन किया। टीम ने यूनिट के निर्माण कार्य की प्रगति को देखा और जरूरी सुझाव दिए।

नवजात के ट्रीटमेंट को देखा
डब्लूएचओ की टीम की प्रमुख डॉ। योशिदा सोवियो और कंगारू मदर केयर योजना के प्रमुख डॉ। हरीश चेलानी, नेशनल हेल्थ मिशन के जीएम डॉ। वेद प्रकाश, कम्युनिटी एंपावरमेंट लैब की डॉ। आरती कुमार, डॉ। रेनू श्रीवास्तव ने पीडियाट्रिक के एसएनसीयू यूनिट में जाकर कम वजन वाले और क्रिटिकल केयर वाले नवजात शिशुओं को दिए जा रहे ट्रीटमेंट को देखा और एसएनसीयू के पास स्थापित की जा रही नई यूनिट की बेड संख्या और आक्सीजन की उपलब्धता तथा अन्य हेल्थ सेवाओं पर जरूरी सुझाव दिए।
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क्या है कंगारू मदर केयर
कंगारू मदर केयर योजना के प्रमुख डॉ। हरीश चेलानी में बताया कि समय से पहले और कम वजन के साथ जन्म लेने वाले बच्चों का जीवन बचाने के साथ बाल शिशु मृत्यु दर कम करने के लिए इस यूनिट की स्थापना की जा रही है। इसका उद्देश्य मां और शिशु को एक साथ रखकर स्वस्थ रखना है। इस अवसर पर हैलट अस्पताल के एसआईसी प्रो। आरके ङ्क्षसह, पीडियाट्रिक डिपार्टमेंट के एचओडी डा। एके आर्य, प्रो। यशवंत राव, चाइल्ड स्पेशलिस्ट डा। अमितेश यादव आदि मौजूद रहे। जीएसवीएम मेडिकल कालेज के प्रिंसिपल प्रो संजय काला ने बताया कि मां और शिशु के बीच शारीरिक जुड़ाव को कंगारू मदर केयर कहा जाता है। इसमें मां अपने शिशु को अपने सीने से लगाकर स्पर्श करती है। इससे शिशु की सेहत और मां को मानसिक संतुष्टि की प्राप्ति होती है।

देश की पहली यूनिट दिल्ली में
निरीक्षण टीम के सदस्य ने बताया कि दिल्ली के सफदरगंज अस्पताल में देश की पहली कंगारू मदर केयर यूनिट चल रही हैै। जिसमें बीमार और प्रीमैच्योर बच्चों को स्वस्थ जीवन दिया जाता है। जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज में स्थापित होने वाली देश की दूसरी और प्रदेश की पहली यूनिट होगी।