बराक ओबामा फ़लस्तीनी नेताओं को इस बात के लिए राज़ी करने के प्रयासों में लगे हुए हैं कि वे सदस्यता के लिए प्रस्ताव को छोड़ दें। लेकिन महमूद अब्बास ने बराक ओबामा से हुई मुलाक़ात में कहा है कि वे अपने प्रस्ताव को लेकर अब पीछे नहीं हटेंगे। इससे पहले संयुक्त राष्ट्र में दिए अपने भाषण में बराक ओबामा ने कहा था कि फ़लस्तीनी राष्ट्र का निर्माण इसराइल से बातचीत के ज़रिए ही हो सकता है।
इस बीच फ़्रांसिसी राष्ट्रपति निकोला सार्कोज़ी ने चेतावनी दी है कि यदि अमरीका ने फ़लस्तीनी प्रस्ताव को वीटो किया तो मध्य पूर्व में नए सिरे से हिंसा शुरु हो सकती है। इस बीच संयुक्त राष्ट्र में फ़लस्तीनी राष्ट्र की सदस्यता के लिए राजनयिक प्रयास तेज़ हो गए हैं।
प्रस्ताव और वीटो के बीच
संभावना है कि फ़लस्तीनी प्रशासन के राष्ट्रपति महमूद अब्बास शुक्रवार को इसके लिए एक लिखित आवेदन संयुक्त राष्ट्र महासचिव को सौंपेंगे। यदि महासचिव बान की मून इस प्रस्ताव को स्वीकार कर लेते हैं तो इस पर मतदान हो सकता है।
इस प्रस्ताव को पारित होने के लिए इसके पक्ष में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के 15 सदस्यों में से नौ का समर्थन ज़रुरी होगा और साथ में ये भी कि इसे सुरक्षा परिषद का कोई भी स्थाई सदस्य वीटो न करे। लेकिन अमरीका की ओर से राष्ट्रपति बराक ओबामा ने फ़लस्तीनी प्रशासन के राष्ट्रपति महमूद अब्बास और इसराइल के बेन्यामिन नेतन्याहू दोनों से स्पष्ट कर दिया है कि अमरीका प्रस्ताव आने की सूरत में उसे वीटो कर देगा। उनके स्पष्ट संकेत के बाद पश्चिमी देशों के राजनयिक इन प्रयासों में लगे हैं कि किसी तरह से मतदान की प्रक्रिया को टाला जा सके।
महमूद अब्बास से बराक ओबामा की मुलाक़ात के बाद अमरीकी राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद के प्रवक्ता बेन रोड्स ने कहा, "हमें संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में ऐसे किसी भी प्रयास का विरोध करना पड़ेगा, अगर ज़रुरत हुई तो मतदान का भी." बेन्यामिन नेतन्याहू ने कहा है कि इसराइल का समर्थन करने के लिए बराक ओबामा को 'सम्मान' मिलना चाहिए। हालांकि वरिष्ठ फ़लस्तीनी वार्ताकार नाबिल शाथ ने कहा है, "संयुक्त राष्ट्र में फ़लस्तीनी सदस्यता नैतिक, क़ानूनी और राजनीतिक हर तरह से ठीक है."
सार्कोज़ी की चेतावनी
फ़्रांस के राष्ट्रपति निकोला सार्कोज़ी ने चेतावनी दी है कि अगर संयुक्त राष्ट्र की पूर्ण सदस्यता की फ़लस्तीन की माँग पर अमरीका ने वीटो लगाया तो मध्य पूर्व में हिंसा की एक नई लहर आ सकती है। उन्होंने संयुक्त राष्ट्र महासभा से अपील की है कि वह फ़लस्तीनी सुरक्षा परिषद के ज़रिए पूर्ण सदस्यता की जो माँग कर रहे हैं अगर वह नहीं मानी जा सकती तो कम से कम फ़लस्तीनियों को पर्यवेक्षक का दर्ज़ा तो दिया ही जा सकता है।
साथ ही सार्कोज़ी ने इसराइलियों और फ़लस्तीनियों के बीच वार्ता फिर से शुरू करने का आह्वान किया। साथ ही उन्होंने एक साल में दोनों पक्षों के बीच एक निश्चित समझौते से जुड़ी एक योजना भी रखी। इस पर अभी तक इसराइलियों, फ़लस्तीनियों या अमरीकियों की ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है।
इससे पहले अमरीकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने भाषण में कहा था कि शांति संयुक्त राष्ट्र में बयानों या प्रस्तावों के ज़रिए हासिल नहीं हो सकती बल्कि इसका एकमात्र ज़रिया सिर्फ़ वार्ता है। ओबामा ने कहा कि मध्य पूर्व में शांति का कोई शॉर्ट कट नहीं है।
उन्होंने कहा, "मैं पूरी तरह आश्वस्त हूँ कि दशकों से चले आ रहे संघर्ष को ख़त्म करने का कोई शॉर्ट कट नहीं है। बयानबाज़ी और संयुक्त राष्ट्र में प्रस्ताव से शांति नहीं आ सकती। अगर ये इतना आसान होता, तो बहुत पहले ही इसे हासिल कर लिया गया होता."
फ़लस्तीनी कोशिश
फ़लस्तीनी नेता महमूद अब्बास फ़लस्तीन को अलग राष्ट्र के रूप में मान्यता दिलाने के लिए संयुक्त राष्ट्र में प्रस्ताव रखना चाहते हैं। लेकिन अमरीका इसका विरोध कर रहा है। अमरीका का कहना है कि सिर्फ़ बातचीत से ही इसका हल निकाला जा सकता है। इसराइल भी इसका विरोध कर रहा है।
महासभा को संबोधित करते हुए ओबामा ने कहा, "आख़िरकार विवादित मुद्दे इसराइल और फ़लस्तीनियों को ही सुलझाना है, हमें और आपको नहीं." एक फ़लस्तीनी अधिकारी ने बताया कि संयुक्त राष्ट्र को फ़लस्तीनी प्रस्ताव पर विचार के लिए समय दिया जाएगा। उधर ओबामा की इसराइली प्रधानमंत्री बेंन्यामिन नेतन्याहू से मुलाक़ात हुई है और फ़लस्तीन नेता महमूद अब्बास से भी वह मिलेंगे।
फ़िलहाल अब्बास फ़लस्तीन को एक राष्ट्र का दर्जा दिलाने संबंधी काग़ज़ात शुक्रवार को रखने को कटिबद्ध दिख रहे हैं। उससे पहले वह संयुक्त राष्ट्र महासभा को संबोधित करेंगे।
अगर सुरक्षा परिषद में फ़लस्तीनियों की कोशिश विफल हो जाती है तो वे बेहतर पर्यवेक्षक के दर्ज़े के लिए महासभा में मतदान की माँग कर सकते हैं। वेटिकन पहले से ही इस हैसियत में है और वहाँ पर कोई वीटो भी संभव नहीं होगा।
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