कानपुर (ब्यरो)। कमिश्नरेट बनने के बाद भी पुलिस कई तरह की जरूरी सुविधाओं के लिए मोहताज है। विभाग के लिए बेहद अहम अंगुल छाप एक्सपर्ट ही नहीं है। जिसकी वजह से एटॉप्सी सेंटर(पोस्टमॉर्टम हाउस) में एक दर्जन अज्ञात शव इकट्ठा हो गए हैं। अंगुलियों की छाप व अन्य अहम डिटेल कलेक्ट करने के बाद ही शवों का अंतिम संस्कार किया जाता है। एटॉप्सी सेंटर के कर्मचारियों की मानें तो बेहद अधिक ठंड होने के कारण राहत है वरना अब तक डेडबॉडी सडऩे लगती है और बदबू के कारण खड़ा होना मुश्किल हो जाता है।
जेसीपी ने शुरू किए प्रयास
मामले की जानकारी मिलने के बाद जेसीपी ने तेजी से प्रयास शुरू कर दिए हैैं। जेसीपी नीलाब्जा चौधरी की मानें तो फॉरेंसिक टीम से बात कर जल्द ही अंगुल छाप एक्सपर्ट की तैनाती कानपुर में की जाएगी, जिससे अटॉप्सी की प्रक्रिया पूरी की जा सके। वहीं वर्तमान में एटॉप्सी सेंटर में रखे शवों की अंगुलियोंकी छाप लेने के लिए लखनऊ या आगरा से एक्सपर्ट का बुलाया जाएगा।
इसलिए जरूरी होती है अंगुल छाप प्रक्रिया
सर्दी के मौैसम में कमिश्नरेट में बड़ी संख्या में अज्ञात शव मिल रहे हैैं। तीन महीने पहले फॉरेंसिक टीम के साथ अंगुल छाप एक्सपर्ट का भी ट्रांसफर हो गया था। इसके बाद से कभी लखनऊ तो कभी आगरा से अंगुलछाप एक्सपर्ट बुलाकर शवों की जानकारी सहेज कर रखी जाती है। डीएनए सैंपल भी रखा जाता है। डेडबॉडी की तमाम एंगल से तस्वीरें की जाती हैैं, वे भी रखी जाती है। डेडबॉडी पर मिले कपड़े और शरीर पर कोई निशान या टैटू की फोटो करके रखी जाती है। जिससे भविष्य में उसकी शिनाख्त हो सके।
बढ़ती जा रही संख्या
दरअसल अज्ञात शवों के मामले में 72 घंटे के अंदर धर्म के मुताबिक अंतिम संस्कार करने का नियम है। अंगुल छाप न होने पर इन शवों का पोस्टमार्टम नहीं हो पा रहा है, जिसकी वजह से एटॉप्सी सेंटर में शवों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। इन दिनों हरबंश मोहाल, चकेरी, महाराजपुर, मूलगंज, कोहना, साढ़ और घाटमपुर क्षेत्र में मिलीं करीब एक दर्जन डेडबॉडी एटॉप्सी सेंटर में अंगुल छाप एक्सपर्ट का इंतजार कर रही हैं।
प्राइवेट फोटोग्राफर के भरोसे कमिश्नरेट पुलिस
विवादित या बड़े मामलों में एटॉप्सी प्रक्रिया की फोटोग्राफी भी कराई जाती है। साथ ही पैनल से पोस्टमार्टम कराया जाता है। पैनल का इंतजाम तो मेडिकल डिपार्टमेंट कर लेता है, लेकिन फोटोग्राफर न होने की वजह से अक्सर पोस्टमार्टम में देरी होती है। सालों से काम कर रहा प्राइवेट फोटोग्राफर अगर छुट्टïी पर चला जाता है तो डेडबॉडी रखी रहती है। एटॉप्सी सेंटर के सूत्रों की मानें तो सेंटर में कोई फोटोग्राफर का पद ही नहीं क्रिएट किया गया। फोटोग्राफर फॉरेंसिक टीम के साथ रहता है लेकिन कानपुर में कई साल से कोई फोटोग्राफर नहीं है। ज्यादा संख्या में शव मिलने पर एकमात्र फोटोग्राफर को फोटोग्राफी के लिए मनाना पड़ता है।