कानपुर (ब्यूरो) सूटरगंज निवासी सेकेंड ईयर के स्टूडेंट आरव ने बताया कि 24 फरवरी को सुबह पांच बजे ब्लास्ट से आंख खुली। बहन अक्षरा साथ ही पढ़ती है। 2 मार्च तक वे बेसमेंट में रहे। रह-रह कर धमाके हो रहे थे। आरव ने बताया कि कोई भी ऐसा पल नहीं है जिसे मैैं भूल सकूं। 2 मार्च को स्टेशन पर आया। बहन को सुरक्षित ट्रेन में बिठाकर सोचा कि मेरी जिम्मेदारी पूरी हुई, अगर मैैं जिंदा न भी पहुंचूं तो कोई बात नहीं। बहन से बिछडऩे के बाद पेशोचिन जा रहे थे। 90 लड़कों को मैैं लीड कर रहा था। इन स्टूडेंट्स की लाइन के पास जब बम फटा तो दहशत हुई। तिरंगा देखते ही चेकपोस्ट से निकाल दिया जाता था। किसी तरह रोमानिया पहुंचा। वहां से 6 मार्च को फ्लाइट से दिल्ली के लिए रवाना हुआ और ट्यूजडे सुबह कानपुर पहुंचा।