कानपुर (ब्यूरो) दर्शनपुरवा की रहने वाली जेनसी ने बताया कि मैैं अपनी दो सहेलियों के साथ स्टेशन की तरफ भागते हुए जा रही थी। रास्ते में कई लोगों से लिफ्ट मांगी लेकिन किसी ने भी गाड़ी नहीं रोकी, जो गाडियां रुकी वे ज्यादा रुपये मांग रही थीं इसी बीच एक देवदूत बनकर कार चालक आ गया और उसने बिना रुपये लिए सुरक्षित बॉर्डर तक पहुंचाया। ये बातें यूक्रेन के खारकीव में मेडिकल की पढ़ाई कर रही जेनसी सिंह ने दी। मंडे दोपहर बाद जब वे घर पहुंची तो मोहल्ले वालों ने उनका वेलकम ढोल बजाते हुए किया। बेटी को सकुशल लौटा देख मां की आंखे भर आईं।
हॉस्टल के बंकर में ले जाया गया
कीव में बोगोमोलेट्स नेशनल मेडिकल यूनीवर्सिटी से एमबीबीएस कर रही प्रशस्ति भी संडे देर रात घर पहुंच गईं। प्रशस्ति ने बताया कि वार के दौरान हॉस्टल के बंकर में ले जाया गया। 25 से लेकर 27 फरवरी तक हॉस्टल में रहीं। सायरन का डर और दहशत हमेशा याद रहेगी।
धमाके से मची गई भगदड़
आकांक्षा शुक्ला : 24 को मेरी कीव से फ्लाइट थी। सुबह 5 बजे मैैं ट्रेन से कीव पहुंची। इसी दौरान एयरपोर्ट पर धमाका हुआ। जिससे लौटना पड़ा। एंबेसी ने बस भेजने को कहा कई घंटे बाद बस आई। एंबेसी ने सभी स्टूडेंट्स का वहां रहने का इंतजाम करने को कहा। एक मार्च को सबको निकलने की एडवाइजरी जारी की गई। कांट्रैक्टर की हेल्प से वेनिस्टा रेलवे स्टेशन और वहां से हंगरी बॉर्डर आ गए। ये एक्सपीरियंस बताया सुभाष नगर चकेरी निवासी आकांक्षा शुक्ला ने। जो डेनिप्रो में डीएसएनयू से फोर्थ इयर की स्टूडेंट हैैं।
हंगरी बॉर्डर होते हुए दिल्ली पहुंची
इटावा बाजार निवासी श्रेय सिंघानिया यूक्रेन की जाक्रोसिया स्टेट मेडिकल यूनीवर्सिटी से एमबीबीएस की पढ़ाई कर रहे हैैं। श्रेय ने बताया कि जहां वे थे वहां वार का कोई बहुत प्रभाव नहीं था। श्रेय ने बताया कि 28 फरवरी को जाक्रोसिया से हंगरी बॉर्डर होते हुए दिल्ली पहुंचे।