अफ़ग़ानिस्तान में नेटो प्रशिक्षण अभियान के उप-कमांडर मेजर जनरल पीटर फ़ुलर ने एक साक्षात्कार के दौरान कहा था कि अफ़ग़ानिस्तान का नेतृत्व 'वास्तविकता से दूर' है।
वाशिंगटन के अपने दौरे पर 'पोलिटिको' पत्रिका को दिए गए साक्षात्कार में उन्होंने कहा था कि अफ़ग़ान राष्ट्रपति हामिद करज़ई एक प्रभावशाली वक्ता नहीं हैं। उन्होंने कहा, "अफ़ग़ानिस्तान के लोग जब राष्ट्रपति का चुनाव करें तो उम्मीद है कि वो एक ऐसा आदमी चुनेंगे जो जनता के बीच प्रभावशाली ढंग से अपनी बात रख सके."
जनरल फ़ुलर ने यह भी कहा कि वह अफ़ग़ानिस्तान के जनरलों को लगातार यह समझाने की कोशिश करते हैं कि आर्थिक मजबूरियों के बावजूद अमरीका अफ़ग़ानिस्तान में डटा हुआ है।
'करज़ई की टिप्पणी से नाराज़'
इस साक्षात्कार के बाद 'पोलिटिको' ने कहा कि ऐसा लगता है कि जनरल हाल ही में राष्ट्रपति करज़ई की उस टिप्पणी से नाराज़ थे जिसमें उन्होंने कहा था कि अगर कभी पाकिस्तान और अमरीका के बीच युद्ध हुआ तो अफ़गानिस्तान पाकिस्तान का साथ देगा।
हालांकि इस बयान के बाद अफ़ग़ानिस्तान में अमरीकी सेना के प्रमुख जनरल जॉन एलन ने कहा था कि जनरल फ़ुलर का बयान अमरीका-अफग़ानिस्तान के रिश्तों प्रतिबिंबित नहीं करता है।
दोनों देशों के संबंधों को 'मज़बूत' बताते हुए जनरल जॉन एलन ने कहा, "अफ़ग़ान इज़्ज़तदार लोग हैं और इस तरह के बयान हमें अफ़ग़ानिस्तान को स्थिर, शांतिपूर्ण और समृद्ध बनाने के मिशन से दूर करेंगे."
पेंटागन के प्रवक्ता जॉर्ज लिटल ने कहा कि रक्षा सचिव लिओन पेनेटा को इस टिप्पणी के बारे में पता था, लेकिन जनरल फ़ुलर के ये विचार उनके निजी थे, रक्षा मंत्रालय के नहीं थे।
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