कानपुर(ब्यूरो)। एसटीएफ की कानपुर यूनिट ने इटावा से कानपुुर जा रहे ट्रक से बड़ी संख्या में प्रतिबंधित सिंदूरी कछुए बरामद किए। ये कछुए जिस ट्रक में छिपा कर ले जाए जा रहे थे, उसमें प्लाइवुड लदा था। प्लाइवुड हटाकर तलाशी ली गई तोअंदर प्रतिबंधित प्रजाति के सिंदूरी कछुए के बोरे भरे पड़े थे। एसटीएफ ने जम्मू-कश्मीर के कठुआ जिले के निवासी दो तस्करों को भी गिरफ्तार किया है, उनसे गिरोह के बारे में पूछताछ की जा रही है।

तस्करों की तलाश में थी
एसटीएफ पिछले कई महीनों से सिंदूरी कछुओं की तस्करी करने वालों की धरपकड़ में लगी हुई थी। कई बार टीम को सफलता भी मिल चुकी है। एसटीएफ सूत्रों के मुताबिक संडे को टीम को सूचना मिली कि हरियाणा नंबर के एक ट्राला में प्रतिबंधित कछुओं को लाद कर ले जाया जा रहा है। पुलिस ने सूचना के आधार पर ट्राला को रुकवाया तो बाहर से देखने पर सनमाइका और प्लाइवुड लदी हुई मिली। एसटीएफ की टीम ने सनमाइका हटाकर देखा तो पीछे बोरे रखे मिले। एसटीएफ टीम ने बोरों को खोलकर देखा तो अंदर सिंदूरी प्रजाति के कछुए भरे थे। एसटीएफ को 45 बोरों में कछुए भरे मिले हैं, जिनकी संख्या ढाई हजार बताई जा रही है। इनमें काफी संख्या में कछुए मर चुके थे।

शक्तिवर्धक दवाओं में यूज
एसटीएफ ने दो तस्कर 32 साल का जावेद निवासी जम्मू के कठुवा ग्राम बिलावर निवासी और 25 साल के मोहम्मद फारुख को गिरफ्तार किया है। ट्रक ट्राला के चालक व परिचालक ने बताया कि बोरे लादकर कोलकाता के लिए दोनों सवार हुए थे। ये प्रतिबंधित कछुए मैनपुरी और इटावा के क्षेत्रों में अधिक पाए जाते हैं। ऐसे माना जा रहा है कि तस्कर इटावा से कछुओं की खेप कोलकाता लेकर जा रहे थे। वहां इनका प्रयोग शक्तिवर्धक दवा बनाने में किया जाता है। कुछ तांत्रिक काला जादू करने के लिए इसका इस्तेमाल करते हैैं। काला जादू कोलकाता में होता है।

तस्करों के तार खंगाले जा रहे
पकड़े गए दोनों कछुआ तस्कर जावेद और मोहम्मद फारुख दोनों कठुआ जम्मू के रहने वाले हैैं। कठुआ में आतंकियों का मूवमेंट भी रहता है। लिहाजा दोनों के पते की जानकारी होने के बाद से एसटीएफ की टीम ने ये जानकारी इंटेलीजेस एजेंसियों से साझा की है। जम्मू में दोनों की कुंडली खंगाली जा रही है।