कानपुर(ब्यूरो)। सात मार्च 2017 को एटीएस ने इनपुट मिलने के बाद जाजमऊ के मनोहर टीला निवासी आईएसआईएस के ट्रेंड माड्यूल सैफुल्लाह को लखनऊ में एनकाउंटर में ढेर कर दिया था। एनकाउंटर से पहले सैफुल्लाह ने न सिर्फ पाकिस्तान में आतंक फैलाने की ट्रेनिंग की थी बल्कि दो लाख रुपये प्रतिमाह कमाई का लालच देकर युवाओं को दहशतगर्द बनने के लिए तैयार किया था। दहशतगर्द बनाने का पहला मौका सैफुल्लाह ने अपने कुनबे यानी खानदान और जुड़े लोगों को दिया था। उसका ये आइडिया कहीं सफल हुआ तो कहीं असफल।
हमीरपुर के फरहान को
अक्टूबर 2016 में फरहान की उम्र 26 साल थी। फरहान मोटर बाइंडिंग का काम करता था। फरहान के मुताबिक सैफुल्लाह ने फोन कर मिलने को कहा। रिश्तेदारी होने की वजह से फरहान ने सैफुल्लाह को घर आने को कहा। ये मुलाकात हमीरपुर स्थित कल्पवृक्ष के नीचे तय हुई। निर्धारित समय पर जब फैजान वहां पहुंचा तो दो बाइक से सैफुल्लाह, आतिफ, फैसल व एक अन्य व्यक्ति मिला। हाल-चाल जानने के बाद सैफुल्लाह फरहान को लेकर सिटी फॉरेस्ट ले गया। जहां दो लाख रुपये प्रतिमाह कमाने का रास्ता बताया। यहां सैफुल्लाह ने फरहान से कहा कि दीन की राह पर चलते हुए आतंक का रास्ता अपनाओ, जो ये नहीं करेगा जाहिलियत की मौत मरेगा।
हाथ पर हाथ रखकर खाई कसम
फरहान के मुताबिक यहां सभी ने हाथ पर हाथ रखा और आतिफ ने अरबी भाषा में कुछ कहा जिसे दूसरे लोगों ने दोहराया। यहां सैफुल्लाह ने फरहान को बताया कि दीन को फैलाने के लिए हमें काफी जद्दोजहद करनी होगी। भारत के बाहर निकल कर आतंक की ट्रेनिंग लेनी होगी। यहां सैफुल्लाह ने उसे एक वीडियो भी दिखाया, जिसमें सभी अरबी में बोल रहे थे और पीछे आईएसआईएस का झंडा लगा था। फरहान के मुताबिक उसने सैफुल्लाह को समझाया कि इनका मकसद ठीक नहीं है। इनका साथ छोड़ दो नहीं तो ये तुम्हें बर्बाद कर देंगे। सैफुल्लाह ने फरहान को बताया कि उसने अपना पासपोर्ट बनवा लिया है, तुम भी बनवा लो। फरहान के मना करने पर सब वापस चले गए।
घाटमपुर मिलने के लिए बुलाया
सैफुल्लाह ने यहीं हार नहीं मानी बल्कि उसने फरहान को दो दिन बाद फोन कर घाटमपुर आने को कहा। मना करने पर आधे घंटे बाद सिटी फॉरेस्ट में मुलाकात हुई। फरहान के पहुंचने पर उसे सैफुल्लाह, आतिफ और दानिश मिले। इन लोगों ने उसे हिंदी का वीडियो दिखाया। जिसमें बताया जा रहा था कि भारत में मुसलमानों पर अत्याचार हो रहा है, गुजरात में मुसलमान मारे जा रहे हैैं। एक-दो भारतीय मौलानाओं की फोटो दिखा कर ये भी कहा गया कि ये इस्लाम को बर्बाद कर रहे हैैं।
पिता से शिकायत की बात कही
फरहान ने जब सैफुल्लाह से कहा कि तुम्हारी शिकायत पिता से कर दूंगा तो सैफुल्लाह घबरा गया और वहां से ये कह कर चला गया कि इस मामले में हमीरपुर नहीं आऊंगा। उसने साथ के लोगों की कंपनी से अलग होने की बात भी कही थी। दिसंबर 2016 में फरहान के पास फैसल का फोन आया और कहा गया कि दानिश, सैफुल्लाह और आतिफ मुंबई जा रहे हैैं। वहां काम न मिला तो पाकिस्तान चले जाएंगे। उसी दिन शाम को आतिफ के बुलाने पर जब फरहान कानपुर आया तो रामादेवी पर उन लोगों से मिला और सभी ने उससे पासपोर्ट बनवाने को कहा लेकिन फरहान के मुताबिक उसने मना कर दिया।
असलहा टेस्टिंग में टीचर का मर्डर
जनवरी 2017 में फैसल के पिता को लकवा मार गया था। जिन्हें देखने के लिए फरहान अपनी मां के साथ कानपुर आया था। इस दौरान फैसल ने अखबार में छपी एक हत्या की खबर उसे पढ़ कर सुनाई और कहा कि ये हत्या उन लोगों ने ही की है। विदेश से आए असलहे के टेस्टिंग करनी थी, कोई मिल नहीं रहा था। इस वजह से उसने अकेले जा रहे युवक पर टेस्टिंग कर ली। फरहान के मुताबिक उस समय उसे लगा कि ये लोग उस पर प्रभाव डालने के लिए ऐसा कह रहे हैैं लेकिन बाद में इस मामले की हकीकत सामने आ गई।
पाकिस्तान के आईएसआईएस कैंप में की थी ट्रेनिंग
दस्तावेजों के मुताबिक जब दानिश, फैसल, सैफुल्लाह और आतिफ मुंबई गए थे तो वहां स्लीपर सेल्स से इनकी मुलाकात हुई थी। वीजा और पासपोर्ट में कमी की वजह से दानिश, फैसल और आतिफ वहां नहीं जा पाए थे, जबकि 45 दिन सैफुल्लाह ने आईएसआईएस के कैंप में आतंक फैलाने की ट्रेनिंग ली थी।
आसपास के जिलों मेें तैयार किए मददगार
हमीरपुर, इटावा, बेला, बिधूना समेत कानपुर के आस पास के तमाम जिलों से आईएसआईएस से जुड़े इन एजेंटों ने तमाम लोगों को स्लीपर सेल्स बनाया था। इनमें से कई लोगों की तलाश आज भी एनआईए और एसटीएफ कर रही है।