- तरह-तरह के कोडवर्ड के जरिए चल रहा शहर में सट्टा

- बर्रा पुलिस ने दो सटोरियों को पकड़ा, 2 लाख बरामद

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KANPUR : आईपीएल शुरू होने के साथ शहर में सट्टे का काला कारोबार भी खूब फल-फूल रहा है। गेंदबाजी हो या बल्लेबाजी हर चीज पर सट्टेबाज 'भाव' दे रहे हैं। अलग-अलग नाम से वेबसाइट बना कर सटोरिए सेफ रहते हुए लाखों-करोड़ों का वारा न्यारा कर रहे हैं। संडे को बर्रा पुलिस ने ऐसे ही दो शातिर सटोरियों को गिरफ्तार किया है जो ऑनलाइन सट्टा लगवा रहे थे। इनके कब्जे से पुलिस ने 2.05 लाख रुपए, 13 मोबाइल, एक डायरी और अन्य सामान बरामद किया।

जुआ बंद कर सट्टे का काम

बर्रा पुलिस को जानकारी मिली कि बर्रा डबल स्टोरी निवासी धर्मेद्र पासवान और बिधनू के रामजीपुरवा निवासी मोहन लाल आईपीएल पर सट्टा लगवा रहे हैं। पुलिस ने घेराबंदी कर दोनों को गिरफ्तार कर लिया। एसपी साउथ दीपक भूकर ने बताया कि पकड़ा गया धर्मेंद्र पासवान कुछ दिन पहले तक नौबस्ता निवासी कमल तिवारी के साथ जुआ खिलवाता था। कुछ दिन पहले कमल तिवारी पकड़ा गया था। जिसके बाद से जुआ बंद कर धर्मेद्र ने सट्टे का काम शुरू कर दिया। एसपी साउथ ने बताया कि इनके मोबाइल की कॉल डिटेल के आधार पर अन्य लोगों का पता लगाया जा रहा है।

जमानत पर छूट कर

सूत्रों के मुताबिक इन दिनों शहर में पुलिस नया खेल खेल रही है। रोज किसी न किसी थाने की पुलिस सटोरियों को बंद कर रही है। हालांकि ये महज पुलिस का दिखावा है। उसी दिन सटोरिया जमानत पर छूट कर आ जाता है और शाम को फिर सट्टा लगवाता है। जानकार पुलिसकर्मियों के मुताबिक पकड़े गए सटोरियों पर धारा 13 जी लगाई जाती है। इस एक्ट में आसानी से जमानत मिल जाती है। जबकि नियम के मुताबिक अगर पुलिस घर में या किसी अड्डे पर सट्टा होते हुए पकड़े तब धारा 3/4 लगानी चाहिए। सट्टा खिलवाने में पूरा गैंग लगा होता है। कभी एक या दो व्यक्ति सट्टा कर ही नहीं सकते। लिहाजा गैंगस्टर भी लगना चाहिए। बावजूद इसके पुलिस गैंगस्टर नहीं लगाती।

गुडवर्क के चक्कर में

पुलिस गुडवर्क के चक्कर में कभी जुआरियों को तो कभी नशे के लती लोगों को सट्टेबाजी में बंद कर देती है। दो दिन पहले किदवई नगर निवासी दो लड़कों को कार में सट्टा लगवाते हुए पकड़ा गया था। इनके खिलाफ भी 13 जी एक्ट में कार्रवाई की गई। उन्हें कोर्ट से जमानत दे दी गई। इसके अगले दिन भी सटोरियों को पकड़ा गया। उसकी भी जमानत हो गई। सरकारी कागजों में इन्हें शातिर बताया तो जाता है लेकिन गिरोह के अन्य मेंबर्स तक पहुंचने की कोशिश पुलिस नहीं करती। गुडवर्क होने पर इन्हें बड़ा सटोरिया और इनके दिल्ली मुंबई से तार जुड़ा होना बताया जाता है, लेकिन जमानत पर छूट कर आने के बाद ये फिर सट्टेबाजी करने लगते हैं।

इन सवालों का जवाब नहीं

- सट्टेबाजों के खिलाफ 3/4 एक्ट में कार्रवाई क्यों नहीं की जाती

- बीते दिनों पकड़े गए सटोरियों का नेटवर्क क्यों नहीं खंगाला गया

- डिस्ट्रिक्ट में दो या तीन से ज्यादा सटोरिए क्यों नहीं पकड़े जाते

- सटोरियों का गैंग दिखाकर गैंगेस्टर की कार्रवाई क्यों नहीं की जाती