- ढाबे पर सो रहे चालकों के साथ मारपीट कर लूट लेते हैं ट्रक, रंग रोगन कर बदल दिया जाता है गाड़ी का हुलिया
- नागालैंड के कंडम वाहनों के चेसिस और इंजन नंबर डाल दिए जाते थे, इसके बाद एनओसी लेकर बेच देते हैं ट्रक
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KANPUR : आरटीओ कर्मचारियों की मिलीभगत से ट्रक लूट करने वाला गैंग वारदातों को अंजाम दे रहा है। लूटे हुए ट्रकों को फर्जी कागजात के जरिए बेचे जाने में आरटीओ के कर्मचारियों की अहम भूमिका है। एसपी साउथ की टीम ने चोरी के ट्रक बेचने वाले गिरोह के शातिर को गिरफ्तार कर पूछताछ की तो ये चौकाने वाला खुलासा हुआ। शातिर के पास से पुलिस को चोरी की बाइक और तमंचा मिला है। पुलिस के मुताबिक आरोपी चोरी के ट्रकों का सौदा करने आया था। इसी दौरान पुलिस ने उसे दबोच लिया। उस पर 25 हजार का ईनाम भी था। पकड़े गए शातिर का सगा भाई गिरोह का सरगना है। पुलिस गिरोह के अन्य सदस्यों की तलाश कर रही है। पकड़े गए शातिर का नाम सूफियान है और वह प्रतापगढ़ का रहने वाला है।
इस तरह करते थे ट्रक चोरी
सूफियान ने पूछताछ में बताया कि गिरोह के सदस्य कार से ढाबों पर रेकी करते थे। ट्रक नंबर देखकर ये पता करते थे कि ट्रक कितना पुराना है। अमूमन नए ट्रक में सो रहे चालक और क्लीनर को किसी बहाने जगाकर ट्रक के केबिन में घुस जाते थे। उसके बाद ट्रक चालक को सुनसान इलाके में रुपये और मोबाइल लूट कर मारपीट कर फेंक देते थे और ट्रक सहित फरार हो जाते थे। एसपी साउथ के मुताबिक ट्रक कब्जे में आने के बाद शातिर इसे लेकर वेस्ट यूपी के सम्भल, रामपुर और बरेली में परिचितों के गैराज में ले जाते थे। वहां इस ट्रक को इस तरह रंग रोगन किया जाता था कि मालिक भी इसे पहचान न सके।
ऐसे लगाते थे गाड़ी को ठिकाने
एसपी साउथ ने बताया कि रंग रोगन के बाद ट्रकों को सुरक्षित स्थान पर खड़ा कर दिया जाता था। इसके बाद नागालैंड के डिस्पोज ऑफ वाहनों की जानकारी कर इन ट्रकों के इंजन और चेचिस नंबर भी बदल दिए जाते थे। ट्रकों के रजिस्ट्रेशन नंबर के लिए यूपी के कई जिलों के आरटीओ के दलालों से संपर्क किया जाता था। आरटीओ से साठगांठ कर एनओसी भी हासिल कर ली जाती थी। एनओसी लेने के बाद वाहनों को आसानी से बेच दिया जाता था।
2019 से फरार था सूफियान
2019 में बिल्हौर और शिवराजपुर पुलिस ने गिरोह का खुलासा करते हुए तीन ट्रक बरामद किए थे। जिसमें सूफियान का नाम सामने आया था। प्रभारी निरीक्षक जनार्दन प्रताप सिंह ने बताया कि पुलिस लगातार उसकी तलाश कर रही थी। इसी दौरान उसके कानपुर आने की जानकारी सर्विलांस टीम को मिली और आरोपी को धर दबोचा गया।
हर शातिर का अलग काम
पुलिस हिरासत में फरमान ने बताया कि अकील, शकील और मुबीन ट्रक लूट की वारदात को अंजाम देते हैं और उसे सम्भल, बरेली और रामपुर तक पहुंचा देते थे। जहां हासिम और हफीज उसे रंग रोगन कराकर पूरी तरह से बदल देते थे। इसके बाद फरमान अपने नागालैंड के कांटैक्ट से डिस्पोज ऑफ वाहनों की लिस्ट प्राप्त करता था। इसके बाद वह आरटीओ में सेटिंग कर वाहनों को बिकवाने का काम करता था।
कानपुर आरटीओ के दलाल राडार पर
एसपी साउथ ने बताया कि प्रयागराज, कौशाम्बी और कानपुर नगर और देहात के कुछ दलाल और आरटीओ कर्मचारी भी पुलिस के रडार पर हैं। जल्द ही इनकी धरपकड़ की जाएगी।
इन शातिरों की पुलिस को है तलाश
अकील, शकील, मुबीन (सभी प्रतापगढ़), हासिम (सम्भल), हफीज (शेरगढ़ बरेली), फरमान(सितारगंज उत्तराखंड)
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ट्रक लूट गैंग में शामिल 25 हजार के ईनामी सूफियान को अरेस्ट किया गया है। उससे पूछताछ के बाद फरार अन्य आरोपियों की तलाश में छापेमारी की जा रही है।
दीपक भूकर, एसपी साउथ
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ऐसे होता है ट्रक लूट का पूरा खेल
-ढाबों से ट्रकों को लूट लेते थे गैंग के शातिर
- लूटकर वेस्ट यूपी में ले जाए जाते थे ट्रक
-परिचितों के गैराज में खड़े कर देते थे ट्रक
-यहां रंग रोगन कर बदला जाता है ट्रक का हुलिया
-नगालैंड के कंडम वाहनों के चेसिस, इंजन नंबर डाल दिए जाते थे
-यूपी के शहरों से ट्रक का री-रजिस्ट्रेशन कराया जाता था
- नया रजिस्ट्रेशन होने के बाद ट्रक को बेच दिया जाता था