कानपुर (ब्यूरो)। हाईटेक हो रही कानपुर कमिश्नरेट पुलिस के टेक्निकल बॉक्स में एक और एप आ गया है। जिसकी मदद से क्राइम के बाद न सिर्फ क्रिमिनल की पहचान आसान हो जाएगी बल्कि उसे पकडऩे में भी पुलिस को बहुत कवायद नहीं करनी पड़ेगी। अब पुलिस क्रिमिनल की वॉयस सैैंपल यानी आवाज के नमूने के साथ ही आइरिश रीडिंग यानी आंख की पुतली की पहचान भी रिकॉर्ड में रखेगी। एडिशनल सीपी हरीश चंदर ने बताया कि सभी थाना प्रभारियों को इस एप की जानकारी देने के बाद उन्हे पूरी तरह से फार्मेलिटी करने को कहा गया है।

बचना होगा मुश्किल
त्रिनेत्र 0.1 के वर्जन में शहर के हर चौराहे पर सीसीटीवी कैमरा लगाने की योजना थी, जिसे पुलिस कमिश्नर अखिल कुमार ने सामाजिक संगठनों की मदद से पूरा कर लिया। यहां हाई रेज्योलूशन वाले कैमरे लगाए गए हैैं। इन कैमरों में न सिर्फ क्रिमिनल्स की तस्वीरें जाते हुए दिख जाती हैैं बल्कि उनकी पाथ चेक करने पर उनका मूवमेंट कहां तक जाता है, यह भी मिल जाता है। जिससे क्राइम की वारदातों को वर्कआउट करना पुलिस के लिए आसान हो गया है। अब तक पुलिस क्रिमिनल की धरपकड़ के बाद घेराबंदी करने के लिए फेस साइन, बॉडी साइन, फिंगर प्रिंट, थंब प्रिंट और बॉडी की फिजिकल चीजों को नोट करती थी। साथ ही फैमिली ट्री भी बनाती थी, जिससे जेल से छूटने के बाद अगर क्रिमिनल दोबारा क्राइम करे तो उसकी धरपकड़ की जा सके।

अब ये भी करना होगा
त्रिनेत्र 2.0 वर्जन में आइरिश रीडिंग, वॉयस सैैंपल और जमानत लेने वालों की जानकारी भी फीड होगी। अगर क्रिमिनल वारदात के बाद बात करते हुए त्रिनेत्र एप के कैमरे के पास से निकलता है तो उसकी आवाज भी रिकॉर्ड हो जाएगी। पकड़े जाने पर पुलिस उसके वॉयस सैैंपल से मिलाएगी, जिससे क्रिमिनल को सजा दिलाने में आसानी होगी।
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त्रिनेत्र 0.2 वर्जन शहर में सभी थानेदारों को बताया गया है। उनसे तुरंत इस पर कार्रवाई करने के लिए भी कहा गया है।
हरीश चंद्र , एडिशनल सीपी कानपुर कमिश्नरेट