कानपुर (ब्यूरो)। हैलट पीजीआई में ईआरसीपी (एंडोस्कोपिक रेट्रोग्रेड कोलेंजियोपैन्क्रिएटोग्राफी) की सुविधा शुरू हो गई है। ऐसे में पेशेंट्स को अब लखनऊ और दिल्ली के चक्कर नहीं लगाने पड़ेंगे। पेशेंट्स को गैस्ट्रो डिपार्टमेंट पित्त और पैनक्रियाज से रिलेटेड बीमारियों का इलाज मिलेगा। डॉक्टर्स ने बताया कि जो ट्रीटमेंट प्राइवेट हॉस्पिटल्स में 30 से 40 हजार रुपये में होता है, हैटल में सिर्फ वो दो हजार में किया जाएगा। जीएसवीएम पीजीआई के गैस्ट्रोएंटरोलॉजी डिपार्टमेंट के एचओडी डॉ। विनय कुमार ने बताया कि ईआरसीपी एक एंडोस्कोपी तकनीकी से इलाज करने की आधुनिक विधि है। यह विधि उन पेशेंट के लिए अत्यंत लाभकारी है। जिनके पित्त की नली में पथरी, कैंसर या अन्य किसी वजह से पित्त के वहाब में रुकावट आ जाती है। पेनक्रियाज से संबंधित जटिल बीमारियों के ट्रीटमेंट में भी यह ट्रीटमेंट काफी असरदार है। उन्होंने बताया कि हैलट में अभी तक एक दर्जन से अधिक पेशेंट को ट्रीट भी किया जा चुका है।
डेली ओपीडी में आते चार से पांच पेशेंट
डॉ। विनय कुमार ने बताया कि जीएसवीएसएस पीजीआई के गेस्ट्रो डिपार्टमेंट की ओपीडी में डेली चार से पांच पेशेंट पित्त की नली में पथरी या फिर पेनक्रियाज की विभिन्न समस्या लेकर आते है। ऐसे पेशेंट को अभी तक ट्रीटमेंट के लिए लखनऊ स्थित एसजीपीजीआई जाना पड़ता था या फिर कानपुर के कुछ प्राइवेट हॉस्पिटल में भारी भरकम फीस ट्रीटमेंट के लिए अदा करना पड़ता था लेकिन अब पेशेंट को जीएसवीएसएस पीजीआई में ही मात्र दो हजार रुपए में ट्रीटमेंट मिल जाएगा।
ऑपरेशन से समस्या नहीं होती खत्म
गैस्ट्रो एक्सपर्ट डॉ। विनय ने बताया कि पेनक्रियाज की पथरी की समस्या को दूर करने के लिए बड़ा चीरा लगाकर ऑपरेशन किया जाता है। जिसमें ब्लड लॉस भी अधिक होता है। वहीं समस्या पूरी तरह से खत्म नहीं होती है। ईआरसीपी की सुविधा से एंडोस्कोपी विधि के तहत पेशेंट के मुंह के रास्ते एक नली को पेट तक ले जाया जाता है। नली में कैमरे के साथ अन्य उपकरण ज्वाइंट होते हैं। जिसकी मदद से पेनक्रियाज की पथरी को आसानी से बिना अन्य पार्ट के नुकसान से निकाल दिया जाता है।
दो से तीन दिन में डिस्चार्ज
एक्सपर्ट के मुताबिक ईआरसीसी की मदद से पित्त की नली की पथरी को आसानी से निकाल पेशेंट की दो से तीन दिनों में हॉस्पिटल से डिस्चार्ज कर दिया जाता है। वहीं चीरा लगाकर सर्जरी करने पर पेशेंट को लंबे समय तक हॉस्पिटल में रुकना पड़ता है। वहीं कई सप्ताह तक फॉलोअप के लिए भी हॉस्पिटल में आना पड़ता है। अब हैलट में ईआरसीपी सुविधा शुरु होने से हजारों पेशेंट को काफी राहत मिलेगी।
जीएसवीएसएस पीजीआई में ईआरसीपी की सुविधा शुरु हो गई है। जिससे पित्त की नली की पथरी और पेनक्रियाज की अन्य समस्याओं का ट्रीटमेंट बिना चीरा लगाए आसानी से हो जाएगा।
प्रो। विनय कुमार, एचओडी, गेस्ट्रो डिपार्टमेंट, जीएसवीएसएस पीजीआई