कानपुर (ब्यूरो) एलएलआर अस्पताल में अब कई स्पेशिएलिटी ओपीडी भी चलती हैं। जिनमें अच्छा खासा पेशेंट लोड भी है। न्यूरोलॉजी, न्यूरो सर्जरी डिपार्टमेंट की ओपीडी के लिए अलग से दवा काउंटर भी है, लेकिन अस्पताल में न्यूरो के मरीजों के लिए कोई ओरल दवा उपलब्ध ही नही है। जिसकी वजह से कई न्यूरोलॉजिस्ट्स को बाहर से दवाएं खरीदवाने का बहाना भी मिल गया। संविदा पर आए एक न्यूरेालॉजिस्ट तो शुरुआत में पर्चे पर कई दवाएं लिखते थे। बाद में मरीज को दवा लाकर चेक करानी हेाती है। जिसके लिए उनकी पत्नी भी ओपीडी में आती थी, लेकिन मामला चर्चित हुआ तो पत्नी का आना बंद हो गया। हालांकि ओपीडी के बाहर दवा कंपनी के प्रतिनिधि लगातार सक्रिय रहते हैं। यही हाल मेडिसिन डिपार्टमेंट की भी कुछ डॉक्टर्स की ओपीडी में दिखता है।

कई दवाओं की कमी
एलएलआर अस्पताल में औषधि व रसायन का 16 करोड़ से ज्यादा का बजट है, लेकिन कई तरह की ओरल दवाएं, ड्रॉप, सीरप व क्रीम उपलब्ध नहीं है। जिसकी वजह से मरीजों को बाहर से इसे खरीदना पड़ता है। जिसमें दवा कंपनियों के रिप्रेजेंटेटिव सेटिंग कर अपना ब्रांड बिकवाते हैं। प्रतिदिन 3 से 4 हजार मरीज ओपीडी में आते हैं। मेडिकल स्टोर्स के कर्मचारी भी ओपीडी में सक्रिय रहते हैं।

'' कई ओरल दवाएं हैं और काफी दवाओं का आर्डर किया गया है। न्यूरोलॉजी से संबंधित दवाओं का भी आर्डर किया जा रहा है। सभी कंसल्टेंट्स को निर्देश हैं कि वह सॉल्ट नेम ही लिखे। ब्रांड नेम लिखने वाले डॉक्टर्स को चिन्हित किया जाएगा.ÓÓ
- डॉ.आरके मौर्या, एसआईसी, एलएलएआर एंड एसोसिएटेड हॉस्पिटल्स