कानपुर (ब्यूरो)। सिटी के ट्रैफिक सिस्टम को दुरुस्त करने के लिए बीते एक दशक में कई आईपीएस आए उन्होंने अपने कार्यकाल में ट्रैफिक को स्मूथ बनाने के लिए कई बदलाव भी किए। जिसका पॉजिटिव असर भी देखने को मिला, लेकिन सिस्टम के लचर रवैये की वजह से नई व्यवस्था लागू करने वाले ऑफिसर्स के ट्रांसफर होते ही नियम भी खत्म हो गए। यही कारण है कि एक दशक से किए गए कई प्रयासों के बाद सिटी का ट्रैफिक सिस्टम जस का तस है।

रोड पर नो पार्किंग
चार साल पहले तत्कालीन एसएसपी यशस्वी यादव ने रोड्स पर गाडिय़ों की पार्किंग रोकने के लिए प्लास्टिक रस्सी से सीमारेखा बनाई थी। इससे ट्रैफिक जाम के साथ रोड एक्सीडेंट में भी कमी आई थी। यही नहीं ट्रैफिक को दुरुस्त करने व सिग्नल का पालन कराने के लिए चौराहों पर स्टॉप लाइन पर रस्सी लिए पुलिसकर्मियों की व्यवस्था कराई थी। जिससे कानपुराइट्स का आदत में सुधार आए और रेड लाइट होने पर स्टॉप लाइन से पहले गाडिय़ां रूक जाएं। एसएसपी के जाते की वह व्यवस्था भी खत्म हो गई। यहीं कारण है के जाम की हालत जस की तस है और ट्रैफिक स्टॉप लाइन की बजाए चौराहे पर बिल्कुल चौराहे पर रुकता है। जिसकी वजह से दूसरी तरफ से आने वाले ट्रैफिक को भी समस्या होती है।

येलो लाइन लापता
तीन साल पहले सिटी के तत्कालीन आईजी प्रेम प्रकाश ने सिटी के ट्रैफिक सिस्टम को दुरुस्त करने के लिए टाटमिल समेत सिटी के बिजी चौराहों के चारों साइड 100-100 मीटर येलो पेंट से रोड पर लाइन बनवाई थी। इसका मकसद था कि येलो लाइन के अंदर किसी प्रकार का एनक्रोचमेंट न हो। लाइन के अंदर ऑटो-टेंपो स्टैंड न होने का नियम लागू कराया था। न ही चौराहों से येलो लाइन के बीच टेम्पो, ऑटो व ई रिक्शा सवारियां ले सकते थे और न ही उतार सकते थे।

थानेदारों को जिम्मेदारी
नियम को फॉलो कराने की जिम्मेदारी स्थानीय थानेदारों को दी थी। जिससे उनकी जवाबदेही बन सके। इस नियम का पॉजिटिव असर भी सिटी के ट्रैफिक सिस्टम में देखने को मिला था। चौराहों पर टेम्पो, ऑटो व ई रिक्शावालों की अराजकता खत्म हो गई थी। लोगों को चौराहों पर लगने वाले जाम से छुटकारा मिल गया था। साथ ही चौराहों पर रोड एक्सीडेंट भी कम हो गए थे। लेकिन उनके ट्रांसफर होते ही धीरे-धीरे येलो लाइन मिटने के साथ नियम भी खत्म हो गया।

चौराहे पर हर कदम पर कब्जे
सिटी के ट्रैफिक सिस्टम का दुरुस्त करने के लिए टाटमिल, घंटाघर चौराहा या फिर बड़ा चौराहा व गोल चौराहा में फुटपाथ में काबिज अवैध कब्जे अक्सर अभियान चलाकर खाली कराए जाते हैं, लेकिन हकीकत यह है कि अभियान के दूसरे दिन ही फुटपाथ व चौराहों पर अवैध कब्जे हो जाते हैं। सैटरडे को दैनिक जागरण आई नेक्स्ट की टीम ने सिटी के कई चौराहों पर रियलिटी चेक कर हकीकत जानी तो सभी स्थानों में ई-रिक्शा,ऑटो व टेंपो चालकों की अराजकता व फुटपाथ में अवैध दुकानें सजी दिखाई दी।

नए कमिश्नर ने बनाई प्लानिंग
कुछ दिन पहले ही सिटी में तैनात हुए नए पुलिस कमिश्नर अखिल कुमार ने सिटी का अव्यवस्थित ट्रैफिक को दुरुस्त करने का अश्वासन कानपुराइट्स को दिया है। पद ग्रहण के तुरंत बाद उन्होने सोशल मीडिया पर कानपुराइट्स का फीडबैक लेने के लिए एक सर्वे कराया था। इसके बाद ट्रैफिक की कमान दो महिला आईपीएस और एक महिला पीपीएस आफिसर्स के हाथ सौंप दी।

यह किया दावा
दावा किया गया कि सिटी की एंट्री यानी रामादेवी चौराहा अतिक्रमण मुक्त बनाया जाएगा। मुख्य चौराहों के स्लिप वे ठीक किए जाएंगे। रामदेवी से गोल चौराहे तक का ट्रैफिक स्मूथ किया जाएगा। संसाधन बढ़ाए जाएंगे। वन वे जहाँ जहां से खुले हैं बंद किए जाएंगे। ई रिक्शा और ऑटो के लिए अलग लेन बनाई जाएगी।