कानपुर (ब्यूरो)। दुख:, आंसू, लाचारी, बेबसी और.हर तरफ बिखरे बर्बादी के निशानअफीम कोठी स्थित राखीमंडी में आग ने ऐसी तबाही मचाई कि इसकी जलन से सालों बाद भी उबरना मुश्किल होगा। आग ने सब कुछ तबाह कर दिया। हादसे के अगले दिन पीडि़त परिवार राख में उम्मीदों को तलाशते नजर आए लेकिन हासिल कुछ नहीं हुआ। चारपाई, बिस्तर, कपड़े, अनाज सब कुछ था, लेकिन राख की शक्ल में। सालों से इकट्ठा की हुई गृहस्थी तहस नहस हो गई। समझ नहीं आ रहा कि जिंदगी गाड़ी अब कैसे आगे बढ़ेगी?
11 परिवार हो गए तबाह
तेज धूप से बचने के लिए लोग धार्मिक स्थलों में शरण लिए हैैं। चिंता है कि कहीं कोई आग के बाद बचा खुचा सामान न चुरा ले जाए। आग खत्म होने के बाद जब आग की चपेट में आने वाले परिवारों की जानकारी की गई तो 11 परिवार आग की चपेट में आए हैैं। प्रत्येक परिवार में औसत पांच लोग बताए गए। इसके अलावा 14 गोदाम थे। जिसके मालिक तो एक या दो ही हैैं लेकिन एक-एक गोदाम से दर्जनों लोगों के परिवार पलते हैैं। स्थानीय लोगों ने बताया कि 24 घंटे बाद तक कोई सरकारी मदद नहीं आई है। वेडनसडे सुबह कोई आया था समोसे दे गया और कहा कि परेशान न होना शाम के खाने का इंतजाम करते हैैं। वहीं नगर निगम का एक टैैंकर पानी सुबह पहुंचा था।
कर्ज लेकर खरीदी चारपाई
स्थानीय लोगों ने बताया कि आपदा को अवसर समझ यहां चोर आ गए हैैं। रात के समय बस्ती के एक कोने से दूसरे कोने तक कई बार शोर मचा। जानकारी करने पर पता चला कि चोर सामान ले जा रहा था, देखने पर शोर मचा दिया तो छोडक़र भाग गया। चोरी उन घरों में हो रही है, जिनका सामान कुछ बच गया है या जो घर आग की चपेट में नहीं आए हैैं। बस्ती के रहने वाले अशोक कुमार ने बताया कि बेटी की शादी करनी थी, जिसकी तैयारी कर ली थी। मेहनत करके एक एक पाई जोड़ी और जेवर बनवाया, कपड़े खरीदे और भी लेन देन का सामान खरीद लिया था, लेकिन आग में सब कुछ जलकर राख हो गया। वहीं सुमन ने बताया कि बच्चों की किताबें, खिलौैने, बक्सा, कपड़ा और जेवर सब कुछ जल गया। अब ये भी समझ में नहीं आ रहा कि आगे की शुरुआत कैसे और कहां से करूं।
रोजी, रोजगार सब चला गया
बस्ती के रहने वाले वोजुल कमर ने बताया कि वे राशन का ठेला लगाते हैैं। राख से अनाज निकालते दिखाई दिए। साथ ही आंखों से आंसुओं की धार बहती दिखाई दी रूंधे हुए गले से बोले सब उजड़ गया साहब ! होली के बाद अनाज बेचने के लिए इकट्ठा किया था। कुछ और ही मंजूर था ऊपर वाले को। वहीं सुरेश ने बताया कि उसका तो सब कुछ चला गया। खाने के बर्तन तक नहीं बचे, सारे परिवारों का जीवन तबाह हो गया। वहीं सीएफओ दीपक शर्मा ने बताया कि संपवेल के पास पत्ते तो जलाए जा रहे थे लेकिन आग शार्ट सर्किट की है।