आमतौर पर बाघ दिन और रात का फ़र्क किए बैगर जंगलों में घूमते रहते हैं, मिलन करते हैं और शिकार करते हैं। साथ ही अपने इलाक़े की निगरानी भी करते हैं।
लेकिन नेपाल के चितवन नेशनल पार्क में हुए एक अध्ययन से पता चला है कि इंसानों से बचने के लिए बाघ अपने क्रियाकलापों को रात तक ही सीमित रख रहे हैं। अतंरराष्ट्रीय टीम का ये अध्ययन विज्ञान की एक पत्रिका ‘प्रोसिडिंग्स ऑफ द नेशनल एकेडमी ऑफ साइंस जरनल’ में प्रकाशित हुआ है।
- शोध के अनुसार नेपाल के चितवन पार्क में बाघ रात को शिकार पर निकल रहे हैं
- परंपरागत समझ के अनुसार बाघ रात और दिन का भेद किया बिना जंगलों में घूमते हैं.
- शोधकर्ता नील कार्टर ने चितवन पार्क के अंदर और बाहर हलचल पहचानने वालें कैमरों की मदद से दो वर्षों तक अध्ययन किया.
- तस्वीरों से पता चला कि इंसान और बाघ एक ही पगडंडी या रास्तों का इस्तेमाल कर रहे हैं बस फर्क ये हैं कि अलग अलग समय में, यानी बाघ रात को और मनुष्य दिन में।
- अतंरराष्ट्रीय टीम का ये अध्ययन विज्ञान की एक पत्रिका 'प्रोसिडिंग्स ऑफ द नेशनल एकेडमी ऑफ साईंस जरनल' में प्रकाशित हुआ है।
- शोध के अनुसार ये संसाधनों को लेकर ये एक बहुत मूलभूत टकराव है.
परंपरागत सोच को चुनौती
परंपरागत सोच तो यही है कि बाघों को इंसानों से दूर एक इलाक़ा चाहिए। इस सोच का मतलब है कि बाघ के इलाक़ों से लोगों का पुनर्वास करवाया जाए या फिर उस इलाक़े में मौजूद संसाधनों को बाघों के लिए त्यागा जाए।
अमरीका की 'मिशिगन स्टेट यूनिवर्सिटी' से आए और इस शोध के सह-लेखक नील कार्टर कहते हैं, “संसाधनों को लेकर ये एक बहुत मूलभूत टकराव है। बाघों को संसाधनों की ज़रूरत हैं और उन्हीं संसाधनों की ज़रूरत इंसानों को भी हैं। अगर हम परंपरागत सोच पर चलकर बाघों के लिए एक अलग जगह छोड़ने लगें तो बाघ और इंसानों में से एक ही बचा रह सकता हैं.”
हिमालय की घाटी में बसा चितवन पार्क 121 बाघों का घर है और पार्क की सीमा सटे इलाक़े में मानव आबादी भी है। लेकिन ये लोग लकड़ी और घास के लिए पार्क पर निर्भर हैं। शोधकर्ता नील कार्टर ने पार्क के अंदर और बाहर हलचल पहचानने वालें कैमरों की मदद से दो वर्षों तक अध्ययन किया।
'बाघ और इंसान एक ही पगडंडी पर'
इस अध्ययन के दौरान ली गई हज़ारों तस्वीरों के विश्लेशण में कार्टर ने पाया कि इंसान और बाघ एक ही पगडंडी या रास्तों का इस्तेमाल कर रहे हैं। बस फर्क ये हैं कि अलग-अलग समय में, यानी बाघों की गतिविधि रात को दिखाई देती है।
इंसान आमतौर पर रात को जंगल में नहीं जाते और ये बाघों के लिए एक संकेत का काम करता है कि रात को बाघ जंगल में अपनी गतिविधियां कर सकते हैं।
शोध से सामने आया कि नेपाल के चितवन पार्क में बाघों के हालात अच्छे हैं। उन्हें पेट भरने के लिए शिकार मिल जाता है। दुनिया भर में 20वीं सदी के दौरान जंगली बाघों की संख्या में 97 फ़ीसदी की कमी आई है और अब विश्व में लगभग तीन हज़ार बाघ ही बचे हैं।
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