'ऑफिस ऑफ चिल्ड्रिंस कमिश्नर' की रिपोर्ट में कहा गया है कि कुछ खास समूह हैं जो इन बच्चों को अपना निशाना बनाते हैं। इस रिपोर्ट के अनुसार अक्तूबर 2011 तक 14 महीने की अवधि में 2,409 बच्चों का यौन शोषण किया गया। लेकिन इस तरह के बच्चों की संख्या इससे कहीं अधिक हो सकती है।
रिपोर्ट में ये बात भी कही गई है कि 2010-11 में 16500 बच्चे ऐसे थे जिन पर यौन प्रताड़ना का खतरा था। ब्रिटेन के प्रधानमंत्री डेविड कैमरन ने प्रतिनिधि सभा में कहा कि ये रिपोर्ट बेहद परेशान करने वाली है और इसका अध्ययन बड़ी सावधानी से करने की जरूरत है। ये अपनी तरह की पहली रिपोर्ट है जिसमें बच्चों और युवाओं के इतने बड़े पैमाने पर यौन शोषण की बात सामने आई है।
इसी साल मई में नौ एशियाई लोगों को ग्रेटर मेनचेस्टर में लड़कियों को यौन शोषण के लिए जबरन तैयार करने के मामले में जेल की सज़ा सुनाई गई थी। रिपोर्ट में इस तथ्य को भी रेखांकित किया गया है कि बच्चों का यौन शोषण करने वालों में पुलिस और स्वास्थ्य जैसे महकमों के लोग भी शामिल है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि बच्चा यदि गायब हो जाए, उनमें यौन बीमारियाँ हों या वे नशे का आदी हो जाएँ तो इस बात की आशंका होती है कि उनका यौन शोषण हो रहा है।
पहचान मुश्किल
रिपोर्ट में ये भी कहा गया है कि बच्चों का यौन शोषण करने वाले लोग जब तक पकड़ में नहीं आते, तब तक इस बात का निर्धारण करना मुश्किल होता है कि ये लोग दरअसर किस देश या नस्ल के हैं।
रिपोर्ट से जुड़ी वरिष्ठ अधिकारी सू बेरेलोविट्ज़ कहती हैं, ''सुबूत इस ओर इशारा करते हैं कि ऐसे लोग किसी भी नस्लीय समूह के हो सकते हैं और यही बात पीड़ित बच्चों पर भी लागू होती है.'' वे उदाहरण और चेतावनी देती हैं कि जिन एशियाई लोगों को गिरफ्तार किया गया था, वो गोरी लड़कियों को यौन शोषण के लिए पाल पोस रहे थे।
वे कहती हैं, ''इंग्लैंड में हर साल हज़ारों बच्चों के साथ बलात्कार होता है। इनमें वो बच्चे भी शामिल होते हैं जिन्हें अगवा किया गया होता है या डरा धमकाकर फांसा जाता है.'' रिपोर्ट में ये भी कहा गया है कि यौन शोषण का शिकार हुए बच्चों की कई बार पहचान तक नहीं हो पाती है भले ही वो शोषण का शिकार मालूम होते हों।
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