कानपुर (ब्यूरो) जीएसवीएम मेडिकल कालेज के डीन प्रो। संजय काला ने बताया कि डायबिटिक फुट से पीडि़त पेशेंट के पैर के घाव कई-कई महीनों तक भरते नहीं हैं। ऐसे पेशेंट को असहनीय पीड़ा से बचाने के लिए जल्द ही ट्रायल की शुरुआत की जाएगी। इसमें ऐसे पेशेंट को रखा जाएगा जो लंबे समय से डायबिटीज से पीडि़त हैं और उनके पैर में संक्रमण तेजी से बढ़ रहा है, जो रोग प्रतिरोधक क्षमता के कम होने से होता है। उन्होंने बताया, डायबिटिक फुट के पेशेंट के घाव में बैक्टीरिया के कारण बॉयोफिल्म बनती है जो घाव के लिए नुकसानदायक होती है। वायरस इस प्रकार की बॉयोफिल्म को तोड़ कर बैक्टीरिया को मारता है। इस ट्रायल के लिए बनी निगरानी कमेटी 12 सप्ताह तक ऐसे पेशेंट के घाव की स्थिति का परीक्षण कर ट्रायल की सफलता की स्थिति को तय करेगी।

क्या है डायबिटिक फुट
डायबिटीज के कारण पैरों में घाव या छाले हो जाते हैं। इनपर ध्यान न देने या समय पर इनका इलाज न कराने से इनमें इंफेक्शन हो जाता है। यह आगे जाकर गंभीर रूप ले लेते हैं। इन्हीं गंभीर छालों या घाव को मेडिकल की भाषा में डायबिटिक फुट अल्सर कहा जाता है।