-मिनहाज और मसरुद्दीन से इंटेरोगेशन में बड़ा खुलासा
-मिनहाज के साथ कमांडर उमर हलमंडी ने की थी कानपुर में रेकी, संभावनाएं तलाशने को कहा था
-मानव बम बनाने के लिए पनकी स्लम एरिया की तीन महिलाओं को किया गया था टीम में शामिल
kanpur : आतंकी हमलों की साजिश में पकड़े गए मिनहाज और मसरुद्दीन ने इंट्रोगेशन के दौरान कानपुर को लेकर बड़ा खुलासा किया है। जिसे सुनकर सुरक्षा एजेंसियों के कान खड़े हो गए। एटीएस सूत्रों के मुताबिक मिनहाज ने बताया कि उसके साथ कमांडर उमर हलमंडी ने कानपुर, लखनऊ, अयोध्या और वाराणसी की रेकी की थी। तीन दिन कानपुर रहने के दौरान उमर ने मिनहाज को कानपुर में संभावना तलाशे जाने की बात कही थी। साथ ही ये भी कहा था कि इस शहर में हमारे प्लान के लिए काफी पोटेंशियल हैं। ये बात 2020 की बताई गई है।
कमांडर के आदेश के बाद कानपुर में मिनहाज और मसरुद्दीन ने अपना मूवमेंट बढ़ा दिया था। रक्षा प्रतिष्ठानों को टारगेट करते हुए धमाके का ताना बाना भी बुन लिया गया था। बस कमांडर के ऑर्डर का वेट किया जा रहा था। इसी दौरान मिनहाज ने एक पुराना सिमकार्ड यूज कर लिया। जिसे एनआईए और आईबी सुन रहे थे। धमाके के प्लान की जानकारी मिलते ही एजेंसियां अलर्ट हो गई और लखनऊ में दोनों की घेराबंदी कर गिरफ्तारी कर ली।
कौन है उमर हलमंडी
मिनहाज और मसरुद्दीन के हैंडलर उमर हलमंडी का असली नाम सैयद अख्तर है। संभल निवासी सैयद अख्तर उर्फ उमर हलमंडी 23 साल पहले आसिम उमर व दो अन्य युवकों के साथ देश छोड़कर आतंक के रास्ते पर चला गया था। इन युवकों ने पाकिस्तान जाकर आतंक की ट्रेनिंग ली थी और इन्हें वहां से एके 47 राइफलें व गोला बारूद दिया गया था। आठ साल पहले आसिम उमर के बारे में पता चला कि वह अफगानिस्तान में है और अलकायदा कमांडर अल जवाहिरी का बेहद करीबी है। वह पाकिस्तान अफगानिस्तान सीमा पर रहकर अलकायदा से जुड़े संगठन अंसार गजवातुल हिंद की भारत में जड़ें मजबूत करने का काम कर रहा है।
सीडीआर में पुख्ता सबूत
पूछताछ में दोनों ने बताया कि पनकी के स्लम एरिया में रहने वाली तीन महिलाओं को लाखों रुपये दिए थे। उन्हें मानव बम की जैकेट देकर धमाका कराने का प्लान था। जिस दिन मिनहाज और मसरुद्दीन को पकड़ा गया। उसी शाम एक टीम इन महिलाओं को तलाशती हुई कानपुर पहुंची थी। तीनों महिलाएं बताई हुई जगह पर नहीं मिलीं। एटीएस सूत्रों के मुताबिक, जिस दिन मिनहाज का पुराना फोन सुना गया, उसी दिन उसी नंबर से महिलाओं की बात हुई थी। इसके पुख्ता सुबूत सीडीआर में भी ि1मल गए हैं।
कोड वर्ड से होती थी बात
एटीएस सूत्रों की मानें तो मिनहाज बहुत शातिर है। वह किसी भी काम को करने के बाद कोई इविडेंस नहीं छोड़ता है। अगर वह पश्चिमी उत्तर प्रदेश से खरीदे गए सिम से बात न करता तो शायद बड़ी वारदात हो सकती थी। कानपुर में अपने संगठन से जुड़े लोगों से वह कोड वर्ड में बात करता था। मिले कोड को डिकोड करने के लिए एटीएस प्रयास कर रही है।