कानपुर (ब्यूरो) यमुना नदी में पानी बढऩे से हर साल कानपुर देहात के सैकड़ों गांवों पर बाढ़ का खतरा मंडराने लगता है। सबसे ज्यादा प्रभाव भोगनीपुर व सिकंदरा तहसील क्षेत्र के नदी किनारे बसे 28 गांवों में रहने वाली आबादी पर पड़ता है। यमुना-सेंगुर के संगम स्थल चपरघटा व उसके आसपास स्थित पड़ाव, भुंडा, आढऩ, पथार, मुसरिया, कुंभापुर आदि गांवों में बाढ़ का पानी सबसे पहले प्रवेश करता है। इन गांवों के रास्तों पर 15 से बीस फीट तक पानी भरने से गांव टापू बन जाते हैं। वहीं ग्रामीणों को आवागमन के लिए हफ्तों नावों का सहारा लेना पड़ता है।

दो दिन ही रही राहत
केंद्रीय जल आयोग के कर्मचारियों की मानें तो कुछ दिन पूर्व ही हथिनी कुंड से छोड़े गए पानी के कारण यमुना का जलस्तर बढ़ गया था। जिसके चलते यमुना के आसपास के गांवों को काफी समस्या का सामना उठाना पड़ा था। जिला प्रशासन के द्वारा ग्रामीणों को सुरक्षित करने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी गई थी। इसके बाद जलस्तर कम हुआ तो राहत की सांस ली। लेकिन एक बार फिर पानी बढऩे से बाढ़ के खतरे को लेकर लोग सो नहीं पा रहे हैं।

ग्रामीणों को किया आगाह
कोटा बैराज से लगातार यमुना में पानी छोड़ा जा रहा है। जिसके चलते यमुना नदी उफान पर आ गई है। घर गृहस्थी के साथ खेतों में खड़ी फसल भी बाढ़ की चपेट में आने की आशंका से किसान परेशान हैं। प्रशासन ने किनारे बसे कई गांवों में लोगों को सुरक्षित स्थान पर जाने की सलाह दी है। इसके अलावा आसपास बाढ़ राहत कैंप भी बनाए जा रहे हैं।