-हाईराइज बिल्डिंग में लगी आग को बुझाने के लिए 7 करोड़ रुपए से मंगाई गई हाइड्रोलिक प्लेटफार्म हुई कंडम

-सिर्फ एक पार्ट खराब होने से दो साल से फजलगंज फायर स्टेशन में फांक रही धूल, कई रिमाइंडर के बाद भी मेटिनेंस नहीं

KANPUR : फ्लैट कल्चर बढ़ने से कानपुर में भी हाईराइज बिल्डिंग्स की संख्या तेजी से बढ़ती जा रही है। इन बिल्डिंग्स में सुरक्षा, मनोरंजन से लेकर सभी तरह की अत्याधुनिक सुविधाएं होती हैं। लेकिन किसी कारण अगर इन बहुमंजिला इमारतों में आग लगी तो सारी सुविधाएं धरी रह जाएंगी। क्योंकि ऐसी हाईराइज बिल्डिंग में आग को बुझाने के लिए इटली से मंगाई गई 7 करोड़ की हाइड्रोलिक प्लेटफार्म मशीन तकनीकी खराबी के कारण फजलगंज फायर स्टेशन में दो साल से धूल फांक रही है। इसका यूज पूरी तरह बंद है। मेंटेनेंस के लिए कई बार विभागीय उच्चाधिकारियों को रिमाइंडर दिया गया, लेकिन कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया। अगर यही हाल रहा तो मशीन को कबाड़ होने में अब ज्यादा समय नहीं लगेगा।

अक्सर होती हैं आग की घटनाएं

गर्मी के सीजन और दीवाली के आस पास आग की घटनाएं अधिक होती हैं। सर्दी में भी अक्सर आग तापने, शॉर्ट सर्किट और हीटर या ब्लोअर से आग लगने की घटनाएं होती हैं। किसी हाईराइज बिल्डिंग में अगर आग लगती है तो अफसरों को सात करोड़ की लागत से इटली से आयी हाइड्रोलिक प्लेटफार्म मशीन की ही याद आती है, लेकिन खराब होने कारण यह उपयोग में नहीं है।

हाइड्रोलिक प्लेटफार्म की खासियतें

- 5 साल पहले 16 जनवरी 2015 को फजलगंज फायर स्टेशन को मिली थी

-7 करोड़ कीमत की इटली से आई इस गाड़ी में पानी भरने की सुविधा नहीं है।

- इसमें लगे सेटअप को हौज पाइप से जोड़कर आग बुझाने का काम किया जाता है।

- हाइड्रोलिक बेस होने से इस पर लगी सीढि़यां 135 फीट ऊंचाई तक पहुंच जाती हैं

- बिल्डिंग की ऊपरी मंजिलों में फंसे लोगों को निकालने में बेहद कारगर है ये मशीन

-आग से सीढि़यां और लिफ्ट बंद होने पर आसानी से ऊपर पहुंच जाते हैं फायर फाइटर्स

- हाइड्रोलिक प्लेटफार्म पर सीढि़यां बूम से चलती हैं लेकिन एक बार भी इसकी सर्विस नहीं हुई

-अगर सीढि़यां खुल गई तो बंद होने में दिक्कत आती है। कभी-कभी सीढि़यां खुलती ही नहीं हैं।

खराब हो गए टर्न टेबुल लैंडर

जापान सरकार की ओर से 9 फरवरी 1992 में उपहार स्वरूप मिली जापानी तकनीक पर आधारित ऑटोमेटिक टर्न टेबुल लैडर भी खड़े-खड़े कंडम हो गई। ये गाड़ी 135 फीट ऊंचाई तक की आग बुझाने और ऊपर फंसे लोगों को निकालने में मददगार थी। मरम्मत न हो पाने से यह गाड़ी खड़े-खड़े ही कंडम हो गई। इसकी नीलामी के लिए हेडक्वार्टर को कई बार लेटर भेजा गया, लेकिन उपहार में गाड़ी मिली होने से इसकी कीमत निर्धारित नहीं हो सकी है। इसी पेंच के चलते आज तक नीलामी नहीं हो सकी।

इन घटनाओं में मिली थी गाड़ी से मदद

- 2017 में कर्नलगंज स्थित एक गेस्ट हाउस की चौथी मंजिल पर लगी आग बुझाई गई थी

- 2018 में अफीमकोठी में गद्दा शोरूम की तीसरी मंजिल पर आग लगी थी। ऊपर चढ़ने का रास्ता बंद होने पर हाइड्रोलिक प्लेटफार्म से बुझाई जा सकी थी।

- 2018 में ही कल्याणपुर के केदारनाथ अपार्टमेंट की चौथी मंजिल पर लगी आग को हाइड्रोलिक प्लेटफार्म से बुझाने के साथ 18 लोगों को बाहर निकाला गया था।

विदेशी गाड़ी होने की वजह से स्थानीय स्तर पर सर्विस और मेंटीनेंस कराया जाना संभव नहीं है। सíवस के लिए हेडक्वार्टर रिमाइंडर भेजा गया है। दिल्ली की कंपनी के इंजीनियर्स से सर्विस के लिए बात की जा रही है। जल्द गाड़ी की मरम्मत कराई जाएगी।

-कैलाश चंद्र, एफएसओ फजलगंज।

हाईराइज बिल्डिगों की संख्या : 200

मशीन की कीमत : 7 करोड़

आग बुझाने में सक्षम: 135 फीट

बीते 8 सालों में आग पर काबू : 9