कानपुर (ब्यूरो) बीते 24 घंटे शहर में पुलिस प्रशासन पर बहुत भारी रहे। कानपुर से लेकर लखनऊ तक और वरिष्ठ अधिकारियों से लेकर सीएम तक इस सांप्रदायिक हिंसा की चर्चा सुनाई दी। 24 घंटे बाद विवाद वाले इलाके में पुलिस की गश्त और रूट मार्च हुआ। दंगा नियंत्रण स्कीम लागू करने के बाद पुलिस बल की तैनाती कर दी गई। शहर में भी दिन भर हिंसा को लेकर तरह-तरह की चर्चाएं होती रहीं। जिसमें कहते सुना गया कि तैयारी तो कई दिनों से चल रही थी लेकिन प्रशासन ने ढिलाई कर दी।


इस तरह से रची गई पटकथा और दिया गया अंजाम
26 मई - एक न्यूज चैनल पर ज्ञानवापी मामले को लेकर डिबेट हो रही थी। इसमें भाजपा प्रवक्ता नूपुर शर्मा ने पैगंबर मोहम्मद साहब पर बेहद आपत्तिजनक बयान दिया। जिस पर देश भर के मुस्लिम संगठनों ने नाराजगी जताई।
27 मई - मौलाना मोहम्मद अली जौहर फैंस एसोसिएशन के अध्यक्ष हयात जफर हाशमी ने कानपुर में बाजार बंद का आह्वान किया। जगह-जगह से इसे लेकर पोस्टर भी लगाए गए।
28 मई - हयात की तरफ से मामले को लेकर विरोध जताने के लिए 3 जून को बाजारी बंदी और जेल भरो आंदोलन का आह्वान किया गया।
29 मई - मुस्लिम इलाके के हजारों लोगों ने हयात को अपना समर्थन दिया।
30 मई - हयात ने मुस्लिम समुदाय के लोगों के साथ अहम बैठक की।
1 जून - हयात ने 5 जून तक बंदी और जेल भरो आंदोलन टाल दिया, लेकिन पोस्टर नहीं हटाए गए।
2 जून - बेकनगंज में फिर दुकानों को बंद करने की अपील की गई। मस्जिदों में हुई तकरीरों में एलान किया गया कि मोहम्मद साहब पर किसी भी टिप्पणी को बर्दाश्त नहीं करेंगे।
3 जून - सुबह से ही बेकनगंज में असहज करने वाला सन्नाटा था। इलाके में ज्यादातर दुकानें मुस्लिम समुदाय के लोगों की थीं, जो बंद रखी गई थीं, लेकिन यतीमखाना के पास के बाजार में कुछ हिंदू दुकानदारों ने दुकानें खोली थीं।

दोपहर 1: 45 बजे यतीमखाना के पास की मस्जिद में जुमे की नमाज अदा की गई। 2.30 बजे के करीब नमाज के बाद लोग बाहर निकले और खुली दुकानों को जबर्दस्ती बंद कराने लगे। हिंदू दुकानदारों ने दुकाने बंद करने से मना किया, तो लोगों के बीच शामिल कुछ अराजक तत्वों ने सबसे पहले चंद्रेश्वर के हाता में घुसकर पथराव शुरू कर दिया। जिसके बाद पूरे इलाके का माहौल बिगड़ गया। इसी बीच भीड़ में शामिल कुछ शरारती तत्वों ने तमंचों से फायर किए। देशी बम भी चलाए।