Bird Flu in Kanpur जू में बर्ड फ्लू से जंगली मुर्गो की मौत की वजह जू प्रशासन कौवों को मान रहा है। जू के हरे भरे माहौल में अन्य पक्षियों के साथ ही दो हजार से ज्यादा कौवे भी हैं। जिनका विचरण सिर्फ जू ही नहीं बल्कि आसपास के इलाकों में भी है। बड़ा सवाल यह है कि अगर कौवों से बर्ड फ्लू का खतरा है तो सिर्फ जू ही नहीं खतरे में पूरा शहर है। कौवे पूरे शहर में हैं। ऐसे में अगर इनमें बर्ड फ्लू का संक्रमण है तो इस पर काबू कर पाना बड़ी चुनाैती है।
मांस गंदगी सब खाते कौवे
कानपुर जू में बर्ड फ्लू की वजह कौवों को माने जाने की पुष्टि डिप्टी डायरेक्टर एके सिंह ने की। उनका मानना था कि जू में दो हजार से ज्यादा कौवे हैं जोकि जू समेत आसपास के इलाकों में घूमते हैं और मांस से लेकर गंदगी तक खाते हैं। इनसे जू के अंदर संक्रमण फैलने का खतरा ज्यादा है। जू में संडे सुबह डायरेक्टर सुनील चौधरी की पशुपालन और वन विभाग के अधिकारियों के साथ मीटिंग में इस तथ्य पर बात की गई। जू के डॉक्टर्स ने भी इसकी संभावना जताई है।
10 से 15 किमी की रेडियस में
डिप्टी डायरेक्टर एके सिंह के मुताबिक कौवे आम तौर पर 10 से 15 किमी की रेडियस में उड़ते हैं। यह जू में भी पक्षियों और दूसरे जानवरों को दिए जाने वाले मांस में थी चोंच मारते हैं। ऐसे में इनसे संक्रमण फैलने की संभावना ज्यादा है। वहीं जू अस्पताल के डॉक्टर्स की टीम दूसरे संभावित कारणों की भी पड़ताल कर रही है।
जू में इमरजेंसी प्रोटोकॉल
जू में संबंधित विभागों के अधिकारियों की मीटिंग में मुख्य रूप से डायरेक्टर सुनील चौधरी, डिवीजनल चीफ फॉरेस्ट रेंजर केके सिंह, वन अधिकारी अरविंद यादव,जेएल गुप्ता, उप वन अधिकारी आरपी प्रजापति, सीनियर वेटनरी डॉक्टर डॉ। आरके सिंह, डॉ। नासिर, डॉ। यूसी श्रीवास्तव शामिल थे। मीटिंग के दौरान जू में बर्ड फ्लू वायरस के फैलाव को रोकने के लिए इमरजेंसी उपायों की चर्चा हुई। साथ इसे निर्धारित प्रोटोकॉल के तहत लागू किया जाना शुरू कर दिया गया है।
जानवरों को नहीं मिलेगा चिकन
कानपुर जू में बर्ड फ्लू की पुष्टि होने के बाद जानवरों को अब खाने में चिकन नहीं दिया जाएगा। अभी तक शेर, बाघ, तेंदुए समेत कैट प्रजाति के जीवों को चिकन भी दिया जाता था। वहीं कुछ जानवर जो मीट नहीं खा पाते हैं उन्हें चिकन की जगह अब कीमा दिया जाएगा।
8 मुर्गो की 'कलिंग'
कानपुर जू में जंगली मुर्गो में बर्ड फ्लू की पुष्टि के बाद उस बाड़े में रहने वाले 8 और मुर्गो की जू प्रशासन ने कलिंग(डिस्पोज)करा दिया। देर रात 7 रेड जंगल फाउल और एक कड़कनाथ मुर्गे को कलिंग किया गया। जोकि बर्ड फ्लू से मरने वाले मुर्गो के साथ उसी बाड़े में थे। कलिंग के बाद इन्हें डिस्पोज करने के लिए जला दिया गया। अब तक क्7 मुर्गो की जू में मौत हो चुकी है। जबकि जू में बनी वॉक इन आईवरी और सभी पक्षियों के बाड़ों को भी बंद कर उनमें रहने वाले पक्षियों की निगरानी की जा रही है। अगर उनमें भी बर्ड फ्लू के लक्षण दिखते हैं तो बड़े पैमाने पर पक्षियों की कलिंग की जाएगी।
जू में छिड़काव
सील होने के बाद सैटरडे देर रात से ही जू परिसर में एंटीवायरल और एंटी बैक्टिरियल दवाओं का छिड़काव शुरू कर दिया गया था जोकि संडे को भी जारी रहा। सभी कर्मचारियों को पीपीई किट और मास्क पहनने के बाद ही जू में एंट्री दी गई। जिन कर्मचारियों के पक्षियों के बाड़ों में सेनेटाइजेशन करना था। उन्हें पीपीई किट पहना कर ही काम कराया गया। जू में कर्मचारियों के स्वास्थ्य की भी निगरानी की जा रही है।
संदिग्ध पक्षियों की होगी जांच
जू के डिप्टी डायरेक्टर एके सिंह ने जानकारी दी कि जू में पक्षियों की हेल्थ की निगरानी के साथ जो भी पक्षी संदिग्ध लगेंगे उन्हें पकड़ कर उनकी जांच कराई जाएगी। इसके लिए क्ख् आफिसर्स और कर्मचारियेां की टीम बनाई गई है। इसके अलावा पक्षीलोक और पक्षीघर में सीसीटीवी कैमरों के जरिए पल पल निगरानी बरती जा रही है। जोकि बर्ड फ्लू जब तक खत्म नहीं हो जाता तब तक जारी रहेगी।
कई प्रजातियों पर खतरा
कानपुर जू में पक्षियों की ब्0 से भी ज्यादा प्रजातियां हैं। इसके अलावा यहां की बर्ड सेंचुरी में भी कई प्रजातियों के विदेशी पंछी आते हैं। इनमें से कई तरह के फिजेंट पक्षी बेहद रेयर भी हैं। अगर जू में बर्ड फ्लू का खतरा बढ़ता है। तो इन पक्षियों को भी कनिंग के दायरे में लाकर डिस्पोज किया जा सकता है।