कानपुर (ब्यूरो) डीजी पीजी कॉलेज के केमिस्ट्री डिपार्टमेंट की असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ। अर्चना दीक्षित की रिसर्च में गंगा जल, अंडर ग्राउंड वाटर और तालाब के पानी में पॉल्यूशन पाया गया है। डॉ। दीक्षित ने बताया कि रिसर्च में सामने आया है कि गंगा नदी, तालाब और अंडर ग्राउंड वाटर में स्थाई और अस्थाई तौर पर घरों से निकली गंदगी मिल रही है। कई जगहों पर बिना शोधित सीवर और नाले के पानी को बहाया जा रहा है। मिल, कारखाने और कई टेनरियां भी चोरी छिपे वेस्ट मैटेरियल को जल स्त्रोत्रों में बहा देती हैं, जिससे पानी में बीओडी, सीओडी लेवल, पीएच मान बिगड़ रहा है। इसमें क्रोमियम समेत कई तरह के केमिकल पानी के साथ घुल जाते हैं। यह जलीय जंतुओं के साथ ही पशु, पक्षियों और मनुष्यों के लिए हार्मफुल हैं।
प्रोटोटाइप बन चुका
वाटर पॉल्यूशन का सबसे बड़ा खतरा रेडियोएक्टिव एलिमेंट्स है। इनकी जांच आसानी से नहीं होती है। इस प्रॉब्लम को देखते हुए यूपीटीटीआई के प्रो.जेपी सिंह और डीएमएसआरडीई कानपुर के साइंटिस्ट डॉ। देवमलय रॉय मिल कर मोबाइल वॉटर डीकांटैमिनेशन सिस्टम तैयार करने जा रहे हैं। इसका प्रोटोटाइप प्रो.जेपी सिंह और उनकी टीम पहले ही बना चुकी है। अब तैयार होने वाले सिस्टम में कई एडवांस टेक्नोलॉजी को डाला जा रहा है। नया सिस्टम केमिकल, बायोलॉजिकल और रेडियो पदार्थों को साफ कर सकेगा। यह एक बिना बिजली के चलने वाले वाटर प्यूरीफायर की तरह होगा।
हौलो पोरस फाइबर टेक्नोलॉजी पर होगा बेस्ड
प्रो। जेपी सिंह ने बताया कि यह सिस्टम हौलो पोरस फाइबर टेक्नोलॉजी पर काम करेगा। इसके पॉलीमर्स में कार्बन नैनो ट्यूब्स, नैनो मैटेरियल्स, 2डी और 3डी स्ट्रक्चर के फिलर्स का यूज होगा। इसमें नार्मल आरओ और पानी के फिल्टर की तरह कैंडल का यूज नहीं किया जाएगा।
लाभदायक मिनरल्स
स्पेशलिस्टों का दावा है कि यह प्यूरिफिकेशन सिस्टम पानी में मिलने वाले लाभदायक मिनरल्स को किल नहीं करेगा। इससे साफ होने वाले पानी को पीन से बॉडी को मिनरल्स मिल सकेंगे। पानी में पाए जाने वाले घातक ई कोलाई बैक्टेरिया का साफ करने का भी दावा है।
डीआरडीओ में होगी टेस्टिंग
सिस्टम को डेवलप होने के बाद इसकी क्वालिटी की टेस्टिंग डीआरडीओ में कराई जाएगी। फस्र्ट फेज में अलग-अलग तरह के छोटे और बड़े मॉडल बनाए जाएंगे।
कोट
वाटर पॉल्यूशन एक बड़ी समस्या है। पॉल्यूडेट वाटर को पीने से कई बीमारियां भी हो रही हैैं। इसी के निदान के लिए एक प्रोटोटाइप तैयार किया गया था, जिसके रिजल्ट पॉजिटिव आए हैैं। उसको अपडेट करते हुए नया सिस्टम तैयार किया जा रहा है।
डॉ। जेपी सिंह, यूपीटीटीआई