कानपुर (ब्यूरो) जेके कैंसर इंस्टीटयूट की लैब में पहले रोज बायोप्सी समेत कई तरह की जांचें होती थीं। जिससे मरीजों को ब्लड की अहम जांचों समेत बायोप्सी जांच के लिए बाहर नहीं जाना पड़ता था, लेकिन जेके कैंसर संस्थान के पूर्व डायरेक्टर जोकि पैथोलॉजी के भी हेड थे, उनके रिटायर होने के बाद यहां की लैब में कोई नया पैथोलॉजिस्ट आया ही नहीं। जिसके बाद से यहां बायोप्सी समेत कई तरह की जांचे बंद हो गईं।
शासन को दी जानकारी
इस वजह से यहां आने वाले मरीजों को जांच के लिए या तो जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज जाना पड़ता है या फिर उन्हें प्राइवेट लैब से महंगी जांच करानी पड़ती है। संस्थान के डायरेक्टर प्रो.एसएन प्रसाद बताते हैं कि शासन को इस बाबत जानकारी दी है साथ ही यहां एक पैथोलॉजिस्ट की तैनाती के लिए भी अनुरोध किया है। जैसे ही किसी पैथोलॉजिस्ट की तैनाती होती है। तो यहां बायोप्सी समेत पैथोलॉजी की सारी बंद पड़ी जांचें शुरू कर दी जाएंगी।
सिर्फ रेडियो और कीमोथेरेपी
जेके कैंसर अस्पताल में मौजूदा समय में सिर्फ रेडियोथेरेपी डिपार्टमेंट है। जल्द यहां पीडियाट्रिक आंकोलॉजी की यूनिट भी शुरू हो इसके प्रयास किए जा रहे हैं। अस्पताल की ओपीडी में रोज 200 से ढाई सौ के करीब मरीज आते हैं। वहीं इनडोर में भर्ती होने वाले मरीजों की रेडियो और कीमोथेरेपी की सुविधा है। अस्पताल में अभी डिजिटल एक्सरे, सीटी स्कैन और एमआरआई मशीन चल हैं। हालांकि यह मशीनें भी काफी पुरानी हो चुकी हैं। सीटी स्कैन मशीन चलने सीटी सिम्यूलेटर के जरिए रेडियोथेरेपी दिए जाने का दावा भी किया गया है।
जेके कैंसर अस्पताल एक नजर में-
- 1961 में हुई थी हॉस्पिटल की शुरूआत
- 106 बेड की वर्तमान क्षमता है अस्पताल की
-200 से 250 मरीज डेली ओपीडी में आते हैं
- 15 हजार मरीज हर साल आते हैं इलाज कराने
-11 स्टॉफ नर्सें हैं सिर्फ जबकि जरूरत 50 नर्सेज की।