स्लग- फास्ट एंड़ सिम्पलीफाइड ट्रस्ट बेस्ड प्लान अप्रूवल सिस्टम से घर बैठे पास करेंगे मैप
कानपुर(ब्यूरो)। केडीए से मैप पास कराने में कॉमन मैन के चेहरे का नक्शा बदल जाता है। ऑफिस के कई चक्कर और जुगाड़ लगाने के बाद ही मैप पास होते हैं, लेकिन आने वाले समय में मैप पास कराने के लिए आपको गवर्नमेंट ऑफिसेज के चक्कर नहीं काटने पड़ेंगे। आपकी बिल्डिंग का मैप आसानी से पास हो जाएगा और खुद आपका नक्शा भी नहीं बिगड़ेगा। दरअसल, मैप पास करने में केडीए सहित अन्य अथॉरिटी के इम्प्लाइज की मनमानी को खत्म करने की शासन ने तैयारी कर ली। नया फास्ट एंड़ सिम्पलीफाइड ट्रस्ट बेस्ड प्लान अप्रूवल सिस्टम (स्न्रस्ञ्जक्क्रस्) तैयार कराने जा रहा है। इसमें मौजूदा सिस्टम कमियों से सबक लेते हुए उन्हें खत्म किया जा रहा है। नये सिस्टम के लिए टेंडर भी कॉल कर लिए गए हैं।
बढ़ते जा रहे इल्लीगल कंस्ट्रक्शंस
कानपुर सहित अन्य सिटी में बढ़ते इल्लीगल कंस्ट्रक्शन की वजह से 2018 में शासन ने ऑनलाइन बिल्डिंग अप्रूवल सिस्टम लागू किया था। जिससे लोगों के मैप आसानी से पास हो सके और कानपुर सहित अन्य शहरों में अवैध तरीके से बन रही बिल्डिंग्स की समस्या खत्म हो सके। पर इस सिस्टम की कमियों का फायदा उठाकर अभी मनमानी की जा रही है। सेटिंग-गेटिंग होने पर तो इम्प्लाई मैप पास कर देते हैं। वरना क्वेरीज लगाकर और एनओसी के नाम पर लोगों को दौड़ाया जा रहा है। 15 दिन की बजाए लोगों को महीनों तक दौड़ाया जाता है या रिजेक्ट कर दिए जाते हैं। मजबूरन लोग एनफोर्समेंट टीम से सेटिंग-गेटिंग कर अवैध रूप से बिल्डिंग तानना शुरू कर देते हैं। यही वजह है कि केवल केडीए में ही 13 हजार के लगभग अवैध निर्माण दर्ज हैं। जबकि हकीकत में यह संख्या कई गुना है। सरकारी जमीनों तक में प्राइवेट सोसाइटीज ने अवैध मोहल्ले बसा दिए गए हैं।
पास कम रिजेक्ट व पेंडिंग ज्यादा
पिछले साल यानि दिसंबर 2022 तक रिपोर्ट खुद इसकी गवाही दे रही है। जिसमें रेजीडेंशियल बिल्डिंग के लिए अप्लाई की गई 557 केस रिजेक्ट कर दिए गए 162 और 160 से अधिक अप्लीकेशन एक से तीन महीने तक पेंडिंग रही। जबकि समय सीमा 15 दिन की है। कुछ यही हाल कॉमार्शियल बिल्डिंग के मैप पास करने में रहा। 388 में 104 अप्लीकेशन रिजेक्ट कर दिए गए और 86 केस एक से तीन महीने तक पेंडिंग रहे।
एनओसी के लिए नहीं लगाने पड़ेंगे चक्कर
मौजूदा ऑनलाइन सिस्टम के बाद भी लोगों को केडीए का प्लॉट के लिए लैंडयूज व ओनरशिप के लिए संबंधित सेक्शन से एनओसी के चक्कर लगाने पड़ते हैं। आर्किटेक्ट्स के मुताबिक अगर नजूल व प्राइवेट लैंड हुई तो लोगों की समस्या और भी बढ़ जाती है। हार्ड कॉपी लेकर देनी पड़ती है। नए सिस्टम में ऑफलाइन एनओसी की समस्या पूरी तरह से खत्म हो जाएगी। सभी डिपार्टमेंट को ऑनलाइन ही एनओसी देनी होगी। नया सिस्टम केडीए सहित फायर, फारेस्ट एंड एनवॉयरमेंट, ट्रैफिक, एयरपोर्ट अथॉरिटी, यूपीपीसीएल, लोकल बॉडीज एंड रेवेंयू, रेलवे आदि डिपार्टमेंट से भी इंटीग्र्रेटेड होगा। जिससे केडीए सहित किसी डिपार्टमेंट के चक्कर न लगाने पड़े। इस सिस्टम के जरिए अन्य डिपार्टमेंट्स से ऑनलाइन ही एनओसी मिल जाएगी।
लूपहोल्स होंगे खत्म
आर्टिटेक्ट्स के मुताबिक मौजूदा ऑनलाइन सिस्टम में बिल्डिंग एलीवेेशन, ड्राइंग आदि को लेकर कमियों का फायदा केडीए सहित अन्य डेवलपमेंट अथॉरिटीज के इम्प्लाई उठाते हैं। इनमें हाईट, फ्लोर, फ्रंट एलीवेशन आदि शामिल हैं। इनसे संबंधित क्वेरीज लगाकर मैप लटकाए रहते हैं। नए सिस्टम में बिल्डिंग बाईलॉज से जुड़े इन लूपहोल्स को खत्म किया जा रहा है। रेजीडेंशियल व कॉमार्शियल बिल्डिंग और लेआउट के लिए पैरामीटर डिसाइड कर दिए गए हैं।
सीएम डैशबोर्ड से भी इंटीग्र्रेटेड होगा
नया सिस्टम निवेष मित्र और आईएसपी पोर्टल से ही नहीं सीएम डैशबोर्ड से भी इंटीग्र्रेटेड होगा। इससे सीएम ऑफिस भी केडीए सहित सभी डेवलपमेंट अथॉरिटीज के ऑनलाइन मैप पास करने की प्रोग्र्रेस रिपोर्ट पर नजर रख सकेंगे। इससे केडीए सहित अन्य अथॉरिटीज के इम्प्लाईज में डर बना रहेगा।
तय किए गए ये पैरामीटर
सिंगल रेजीडेंशियल बिल्डिंग, प्लॉट एरिया, लैंडयूज, सेटबैक, बिल्डिंग हाईट, टोटल बिल्टअप एरिया, ग्र्राउंड कवरेज, फ्लोर एरिया रेशियो
अदर बिल्डिंग्स
लैंडयूज, सेटबैक, ग्र्राउंड कवरेज, बिल्ट अप एरिया, पार्किंग, हाईट, पार्क एंड ओपेन स्पेस, अप्रोच रोड, ट्रैवेल डिस्टेंस, परफार्मेंस गारंटी, प्रपोज्ड ईडब्ल्यूएस या एलआईआईजी(ग्र्रुप हाउसिंग)
लेआउट
रोड विड्थ विद इन लेआउट, परसेंटेंज ऑफ डिफरेंट यूसेज, प्रपोज्ड ईडब्ल्यूएस या एलआईजी, परफार्मेंस गारंटी