कानपुर (ब्यूरो) आर्मी ने काफी सपोर्ट किया। कुछ हो पाता उसके पहले ही हमारे कांट्रैक्टर हमे लेकर फास्ट फूड सेंटर इंडियन मेस में पहुंच गए। ये फास्ट फूड सेंटर ओलेस्की विस्टा मेें है। अभी सुबह सात से चार बजे तक का कफ्र्यू चल रहा है। हम लोग अब सेफ प्लेस तो नहीं कह सकते लेकिन पहले से सेफ हैैं और यहां खाना भी मिल रहा है। यहां हमारे कांट्रैक्टर हरदीप सिंह ने बहुत हेल्प की है। हम लोगों के पास रुपये भी खत्म हो गए हैैं। एटीएम से रुपये नहीं मिल रहे हैैं। जिससे हम लोगों की परेशानी बढ़ गई है।
एक बर्थ पर छह-छह लोग
डेनिप्रो से रोमानिया जाने के लिए दिन में 11 बजे एक ट्रेन रवाना हुई। ट्रेन में मौजूद स्टूडेंट्स ने बताया कि एक-एक सीट पर छह-छह लोगों को बिठाया गया था। इसके बाद कोई ट्रेन नहीं थी। इसलिए जान बचाने के लिए ट्रेन में यात्रा करना मजबूरी बन गई थी। बिना खाने पीने के इंतजाम के सैकड़ों किलोमीटर दूर की यात्रा करने के लिए सैकड़ों बच्चे निकल पड़े।
14 घंटे से यूक्रेन-हंगरी बार्डर पर
किदवईनगर निवासी डॉ। संजीव प्रताप सिंह के बेटे शांतनु ओडेसा मेडिकल यूनिवर्सिटी से एमबीबीएस के छात्र हैं। डॉ। संजीव ने बताया कि उनकी सोमवार शाम बेटे से फोन पर बात हुई तो उसने बताया कि वह यूक्रेन-हंगरी बार्डर पर है और करीब 14 घंटे से लाइन लगाए है, ताकि हंगरी की सीमा में प्रवेश कर सके। उसके साथ ही उसके तमाम दोस्त भी लाइन में खड़े हैं। बार्डर पर वीजा बनाकर और दस्तावेज चेक करने के बाद ही प्रवेश दिया जा रहा है। रात तक उसका नंबर भी आ जाएगा। उन्होंने कहा कि हालांकि हंगरी से एक दिन में दो-ढाई सौ बच्चों को ही फ्लाइट मिल पा रही है। भारत सरकार से निवेदन है कि फ्लाइट की संख्या बढ़ाई जाए, ताकि एक दिन में डेढ़ से दो हजार बच्चे भारत आ सकें।
संडे रात से लाइन में लगा है
श्यामनगर पीएसी लाइन निवासी नाहर सिंह ने बताया कि उनकी भी बेटे प्रशांत से रविवार देर रात बात हुई थी। तब वह रोमानिया की सीमा में प्रवेश करने वाला था। उसने बताया था कि रोमानिया पहुंचने पर उसका फोन बंद हो जाएगा, क्योंकि वहां का नेटवर्क दूसरा है और उसे नया सिमकार्ड लेना पड़ेगा। करीब 48 घंटे तक लाइन में लगने के बाद बेटे को रोमानिया की सीमा में प्रवेश मिल पाया। इसके बाद से बेटे से संपर्क नहीं हुआ है। संभवत: सोमवार देर रात में या फिर मंगलवार शाम तक वह भारत पहुंच जाएगा। यहां वह मुंबई या दिल्ली एयरपोर्ट पर आएगा और उसके बाद भारत सरकार कानपुर भेजने का इंतजाम करेगी। उन्होंने कहा कि सरकार थोड़े संसाधन और बढ़ाए, ताकि बच्चों को जल्दी भारत लाया जा सके।