कानपुर (ब्यूरो)। सेंट्रल स्टेशन पर लाखों पैसेंजर्स की सेहत के साथ खुलेआम खिलवाड़ हो रहा है। लंच और ब्रेकफास्ट के नाम पर पैसेंजर्स को जो खिलाया जा रहा है, वो खाना कहां बना, किसने बनाया, कब तक सुरक्षित रहेगा, कोई नहीं जानता। क्योंकि पैकेट पर न बनाने वाले का नाम लिखा जा रहा है, न मैन्यूफैक्चरिंग डेंट और न ही एमआरपी। दैनिक जागरण आईनेक्स्ट की टीम ने एक रीडर की शिकायत पर सेंट्रल स्टेशन पर रियलिटी चेक किया। इस दौरान चौकाने वाली हकीकत सामने आई। इतने बड़े स्टेशन जहां 24 घंटे किसी न किसी रेलवे आफिसर्स का आना जाना रहता है। ऐसे स्टेशन में प्लेटफॉर्म एक से नौ तक कहीं पर भी नियम फॉलो होता नहीं मिला। प्लेटफार्मो में बिक रहे लंच पैकेट में रेट, वेट, कैटर्स का नाम गायब है। इतना ही नहीं, खाने की एक्सपायरी डेट तक प्रिंट नहीं है। ऐसे में बड़ा सवाल है कि अगर ये खाना खाकर आप बीमार होते हैं, तो किसके खिलाफ शिकायत करेंगे।

यशवंतराव-गोरखपुर ट्रेन जैसी हो सकती घटना
बताते चलें, अप्रैल में यशवंतपुर-गोखपुर में एग करी और वेज बिरयानी खाने से 50 से ज्यादा पैसेंजर की तबियत खराब हो गई थी। क्योंकि उन खाने के पैकेट में रेट, वेट व कैटर्स का नाम व यूज करने की डेट नहीं लिखी थी। इस वजह से इस घटना के आरोपी आज तक पकड़े नहीं गए। रेलवे यह भी पता नहीं कर पाया कि खाना कहां और किसने बनाया और किसने बेचा है। अगर ऐसी घटना यहां होती है तो आरोपी साफ बच कर निकल जाएगा। क्योंकि इस बात का कोई प्रूफ नहीं है कि खाना किसने बनाया है। जिस पर कार्रवाई यह हर्जाना लगाया जा सके।

अधिकारियों की मिलीभगत से
प्लेटफार्म नंबर एक के साथ दो-तीन, चार-पांच समेत लगभग सभी प्लेटफार्म पर खाद्य सामग्री की बिक्री के बनाए गए नियमों की खुलेआज धज्जियां उड़ाई जा रही थीं। जो भी खाने का का सामान बेचा जा रहा उसमें नियमानुसार निर्माता का नाम, मैन्युफैक्चरिंग डेट, एक्सपायरी डेट और एमआरपी नहीं लिखा था। जिसकी वजह से वेंडर्स लंच पैकेट को मनचाहे दामों में बेच रहे थे। वहीं अगर पैसेंजर क्वालिटी को लेकर कोई शिकायत करना चाहे तो किसके नाम से करेगा। जब बनाने वाले का नाम ही नहीं पता तो एक्शन किस पर होगा। ऐसा नहीं है कि यह सब रेलवे अधिकारियों को पता नहीं है। उनकी मिलीभगत से ही पूरा खेल हो रहा है।

वर्दी में घूम रहे अवैध वेंडर्स
सोर्सेस की मानें तो कानपुर सेंट्रल स्टेशन पर दर्जनों की संख्या में अवैध वेंडर्स स्टेशन में कार्यरत ऑथराइज वेंडर्स की वर्दी पहन कर घूम रहे हैं। कुछ महीनों पहले अधिकारियों ने चेकिंग कर कई ऐसे वेंडर स्टेशन पर खाद्य सामग्री बिक्री करते हुए पकड़े गए थे। जोकि न तो आईडी दिखा पाए थे और न ही उनके पास मेडिकल कार्ड था।


यह कहता है रेलवे का नियम
एसीएम संतोष त्रिपाठी ने बताया कि रेलवे के नियमानुसार स्टेशन में स्टेशन में बिक्री होने वाले खाद्य सामग्री &पके हुए खाने&य के पैकेट में रेट, वेट, खाना बनाने वाले कैटर्स का नाम व यूज करने की डेट प्रिंट होनी चाहिए। खाना खराब होने या फिर खाने में किसी प्रकार की समस्या होने पर पैसेंजर्स रेलवे के टोल फ्री नंबर 139 पर कॉल करने के साथ स्टेशन पर डिप्टी एसएस कार्यालय में मौजूद शिकायत पुस्तिका में अपनी लिखित शिकायत दर्ज कर सकता है। लेकिन वर्तमान में सेंट्रल स्टेशन में एक-दो संचालक ही यह नियम फॉलो कर रहे है। बाकी 98 परसेंट फूड स्टॉल संचालक इस नियम को फॉलो नही कर रहे हैं। यहीं कारण है कि वह पैसेंजर्स को लंच के नाम पर कुछ भी मनचाहे रेट में बिक्री कर रहे हैं।

यह प्रोडक्ट बिना रेट, वेट व कैटर्स के नाम के बिक्री हो रहे
- पनीर-चावल-मिक्स वेज-रोटी
- दाल-चावल-सब्जी-रोटी
- एग करी
-एग बिरयानी
- वेज बिरयानी
- छोला-चावल

- स्टेशन में खाने पीने की सामग्री में अक्सर ओवर चार्जिंग वेंडर्स करते हैं। इसके खिलाफ रेलवे को सख्ती से कदम उठाने और उसको अमल कराने की जरूरत है। हवा हवाई से कोई असर नहीं पड़ेगा।
राकेश कुमार


- स्टेशन में बिक्री होने वाले खाने में रेट प्रिंट अवश्य होना चाहिए, इसके साथ ही उसके बनाने वाले व यूज की डेट भी प्रिंट होना चाहिए। इसके प्रति रेलवे को गंभीर होने की जरूरत है।
पित्थो


- खाने की क्वालिटी में भी रेलवे को सुधार करने की जरूरत है। पैसेंजर को जानने का पूरा हक है कि वह जो खाना खरीद रहा है। वह कब बना था और यूज करने की डेट क्या है।
नरेंद्र वर्मा

लंच व डिनर पैकेट में रेट, वेट और कैटर्स का नाम व यूज डेट की स्लिप चस्पा होना अनिवार्य है। ऐसा नहीं है तो अभियान चलाकर कार्रवाई की जाएगी।
संतोष त्रिपाठी, एडिशनल कामर्शियल मैनेजर, सेंट्रल स्टेशन