कानपुर (ब्यूरो) स्किन के पेशेंट्स में अवेयरनेस की काफी कमी है। फंगल इंफेक्शन हो या फिर स्किन में किसी प्रकार की एलर्जी, पेशेंट बिना किसी डॉक्टर के परामर्श के दवा नहीं लेनी चाहिए। मेडिकल स्टोर से पेसेंट्स खुद दवा ले लेते हैं पहले तो वह पेशेंट को थोड़ा आराम देती है वह बीमारी की जड़ पहले की अपेक्षा अधिक मजबूत हो जाती है। जिसको दूर करने में समस्या बढ़ जाती है।

कपड़े व शरीर को रखे स्वच्छ
हैलट के स्किन रोग डिपार्टमेंट के एचओडी डॉ। डीपी शिवहरे ने बताया कि ठंड के मौसम में लोग नहाने से बचते हंै। इसके अलावा कपड़े भी समय से नहीं बदलते हैं। इसकी वजह से फंगल इंफेक्शन के साथ स्किन की बीमारियां होती हैं। उन्होंने बताया कि बदलते समय में कई स्किन संक्रमण के वायरस भी एक्टिव हो जाते हंै।

बीमारी व लक्षण
सोरयासिस- लाल चकत्ते पडऩा व सफेद पपड़ी नुमा शरीर की स्किन पर पडऩे लगती है।
- स्केबीज- स्किन में माइट होता है। जिससे स्किन में खुजली व दाने पड़ जाते हैं। यह गंदगी की वजह से होता है।
- ड्राइनेस या जीरोसिस- स्किन में रूखापन आ जाता है, खुजली के साथ स्किन में अधिक रूखापन हो तो डॉक्टर को अवश्य दिखा लें
- हरपीस जोस्टर- यह एक प्रकार का वायरस है। इसमें पानी दार छाले शरीर पर एक स्थान पर पड़ जाते हैं। यह एक इंसान से दूसरे में फैल सकता है।
- फंगल इंफेक्शन- शरीर में हाथ, थाई व पैर में फंगल इंफेक्शन होता है। जिसमें दाद नुमा गोल चकत्ते पड़ जाते हैं।
स्किन रोगों से ऐसे करे बचाव
- नियमित शरीर को स्वच्छ रखें
- साफ कपड़े पहने
- एक साल से रखे ऊनी कपड़ों को धूप में दिखाने या गर्म पानी से धोने के बाद ही यूज करें
- कंबल व रजाई को धूप में अच्छी तरह दिखाने या फिर धोने के बाद ही यूज करें
- बासी खाने का यूज न करें
आंकड़े
- नार्मल दिनों में 450 के आसपास ओपीडी में पेशेंट्स की संख्या होती है
- वर्तमान में 550 से अधिक ओपीडी में पेशेंट्स आ रहे हैं
- 6 प्रकार के स्किन पेशेंट की संख्या बदलते मौसम में बढ़ जाती है।

बदलते समय में स्किन रोग से ग्रसित पेशेंट्स की संख्या काफी बढ़ी है। यही किसी को स्किन से जुड़ी कोई समस्या हो तो वह डॉक्टर के बिना परामर्श के लिए मेडिकल स्टोर से दवा न खरीदे, डॉक्टर को दिखाने के बाद ही दवाओं का सेवन करें।
डॉ। डीपी शिवहरे, एचओडी, स्किन रोग डिपार्टमेंट, हैलट