मेरा लाल अपने देश पर कुर्बान हो गयाअब वो कभी नहीं आएगाउसको अपनी भारत मां से बहुत प्यार हैजब से एयरफोर्स ज्वाइन की, तब से हमेशा आतंकियों को मार गिराने की बात करता रहता था। आंखों में आंसुओं का सैलाब और मुंह से बेटे की वीरगाथा बताते-बताते शहीद दीपक पांडेय के बुजुर्ग पिता फफक पड़े। उनको देखकर आसपास खड़े हर शख्स की आंखों से अपने आप आंसू बहने लगे। दीपक तेरा ये बलिदान याद रखेगा हिंदुस्तानजैसे नारे लगने लगेशहीद दीपक पांडेय ही उनके पिता राम प्रकाश पांडेय का बुढ़ापे का सहारा थेघर पर कुर्सी में बैठे शहीद दीपक के पिता को सब ढ़ांढस बंधा रहे थे लेकिन उनको यकीन ही नहीं हो रहा था कि उनका इकलौता सहारा अपनी भारत मां की रक्षा करते-करते हमेशा के लिए दुनिया से चला गया। दीपक की मां रमा पांडेय रोते-रोते हर बार यही कह रही थीं कि हमारा सहारा अपनी इस मां को छोड़कर भारत मां के पास चला गया

पूरे शहर में शोक की लहर

बुधवार सुबह जम्मू-कश्मीर के बड़गाम में एमआई-17 चौपर प्लेन के क्रेश होने की खबर आई। जिसमें सवार पायलट व को-पायलट दोनों शहीद हो गए। जैसे ही पता चला कि प्लेन उड़ा रहे पायलट दीपक पांडेय कानपुर के थे, पूरा शहर में शोक की लहर दौड़ गई। श्रीनगर एयर बेस कैंप से दोपहर दीपक के चकेरी मंगला विहार घर पर फोन आया कि उनका बेटा अब इस दुनिया में नहीं रहा। शहीद दीपक पांडेय के घर में कोहराम मच गया। आसपास रहने वाले हर शख्स को रामप्रकाश पांडेय और उनकी पत्नी पर गर्व हो रहा था कि उन्होंने दीपक जैसे बेटे को जन्म दिया, जिसने देश की खातिर अपना सबकुछ न्यौछावर कर दिया।

बॉक्स

दीपक ने साल 2012 में एयरफोर्स ज्वाइन की थी। अपने छह साल की छोटी सी नौकरी में वो देश के लिए शहीद हो गए। दीपक ने सरस्वती विद्या निकेतन हरजेंदर नगर से 12वीं तक पढ़ाई की थी। दीपक अपने माता-पिता की इकलौती संतान थे लेकिन ताऊ की पांच लड़कियों के वह बेहद दुलारे भाई थे। जब भी वह छुट्टी पर घर आते थे तो बहनों के लिए कोई न कोई गिफ्ट जरूर लाते थे। दीपकी शहादत की खबर से बहनो का भी रो-रोक बुरा हाल था। रोते-रोते बहनें यही कह रहीं थीं, भइया तुम क्यों चले गएअब हमें गिफ्ट कौन लाएगाहम किसके लौटने का इंतजार करेंगेभइया लौट आओ ना

लौट आओ बेटा मां कैसे रहेगी?

पुलवामा हमले के बाद भारत की जबरदस्त कार्रवाई के बाद पाक बुरी तरह बौखलाया है। लेकिन शहीद दीपक जैसे भारत के वीर सपूतों के आगे उसको मुंह की खानी पड़ रही है। शहीद दीपक की मां रोते-रोते बेहाल हो गई। आसपास के लोगों ने उनको होश में लाने के लिए कई बार पानी पिलाने की कोशिश की लेकिन वो हर बार बेटाबेटा कहते-कहते बेहोश हो गईंवो बार-बार यही कह रही थीं कि बेटा अभी तो तुमको बहुत काम करना हैभारत मां की सेवा हमेशा करते रहना बेटालेकिन वापस आ जाओतुम्हारी ये मां अब कैसे दुनिया में रहेगी.आओ बेटातेरी मां कैसे रहेगी

'मैं हमेशा उनके पास रहूंगा'

बचपन से ही था उड़ने का शौक

दीपक के पड़ोसी छविनाथ सिंह ने बताया कि बचपन से ही वो हवाई जहाज उड़ाने की बात करता रहता था। पांच साल की उम्र से ही कागज के छोटे-छोटे जहाज बनाकर हमेशा उड़ता रहता था। जब उसको मना करते थे तो कहता था कि एक दिन असली जहाज भी उड़ाउंगा। देश के लिए शहीद हुए दीपक पांडेय के ताऊ शिव प्रकाश पांडेय कहते हैं कि हमेशा कहता था कि ताऊ आपके दीपक को कोई बुझा नहीं सकता हैइसलिए जब मैं पोस्टिंग पर जाया करूं तो मां और पिता को इस बात का यकीन जरूर दिलाते रहा करिए कि मुझको कुछ नहीं होगा। मैं हमेशा उनके पास रहूंगा

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नाम- शहीद दीपक पांडेय

पिता-राम प्रकाश पांडेय, प्राइवेटकर्मी

कानपुर के मंगला विहार स्थित अन्ना चौराहे के पास घर

सरस्वती विद्या निकेतन हरजेंदर नगर से 12वीं की परीक्षा पास की।

2012 में दीपक पांडेय ने एयरफोर्स ज्वाइन की थी।

एयरफोर्स में दूसरी पोस्टिंग श्रीनगर एयरबेस कैंप में थी।