- बीते 15 सालों में गंगा पार विकसित हुआ नया इलाका टेस्टिंग से लेकर ट्रेनिंग के लिए बनी मुफीद जगह
-चार साल पहले भी टेरर की ट्रेनिंग में आया था नाम, इस बार भी आतंकी मिनहाज ने बनाया इस इलाके को अपना बेस
KANPUR: जाजमऊ में गंगा पार बीते 15 सालों में विकसित हुआ नया इलाका आतंक की पनाहगाह से लेकर उसकी ट्रेनिंग और टेस्टिंग तक का अड्डा बन गया है। एक बार फिर एटीएस की इस इलाके पर निगाहें जम गई हैं। इससे पूर्व एनआईए चार साल पहले यहां आतंक के प्लॉट का मुआयना भी कर चुकी है। और यहां पर मिले तथ्यों को 2017 में ट्रेन ब्लास्ट केस की चार्जशीट में भी बताया था कि कैसे गंगा किनारे की इस जगह पर कट्टरपंथ को बढ़ावा देने वाले काम हुए। कैसे आतंक की ट्रेनिंग के लिए गंगा की रेती का इस्तेमाल किया गया। इस बार फिर वही सारी बातें सामने आ रही हैं। इस बार मामला अलग है, लेकिन वजह एक ही है आतंक।
रेडिक्लाइजेशन का बन रहा सेंटर
लखनऊ के दुबग्गा में पकड़े गए अलकायदा के आतंकी मिनहाज से पूछताछ में इस बात का खुलासा हो चुका है कि वह जाजमऊ में गंगा पार स्थित एक इबादतगाह में कई दिन तक ठहरा था। वहां से उसे फंडिंग भी मिली। इसके अलावा कई लोगों से वह वहां मिलता जुलता भी रहा। मालूम हो कि इस इलाके में टेनरियों में काम करने वाले मजदूर भी बड़ी संख्या में रहते हैं। इलाका बीते कुछ सालों में तेजी से डेवलप हुआ है,लेकिन उतनी ही तेजी से यह इलाका कट्टरपंथियों के लिए भी सेफ शेल्टरहोम की तरह बन चुका है। जहां समय समय पर कई जमातें अाती हैं।
रेती में पनप रहा अपराध
जाजमऊ में गंगा के पार बंगाली घाट इलाके के आसपास कई किलोमीटर तक गंगा की रेती है। यह इलाका अपराधिक गतिविधियों के लिए भी कुख्यात है। 2017 के टेरर प्लॉट में भी पकड़े गए आतंकियों से पूछताछ में इस बात का खुलासा हुआ था कि उन्होंने इस रेती के इलाके में बम बना कर उसकी टेस्टिंग और गन चलाने की ट्रेनिंग ली थी। पुलिस के लिए सीमावर्ती क्षेत्र होने की वजह से यहां पेट्रोलिंग करना भी आसान नहीं होता। जबकि गंगापुल के पास पुलिस चौकी भी बनी हुई है।
जाजमऊ से पहले पकड़े जा चुके यह आतंकी-
सैफुल्लाह(मौतत),दानिश,आतिफ,(दानिश का चचेरा भाई),आतिश उर्फ अलकासिम, गौस मोहम्मद और आसिफ इकबालल(बंगाली घाट)।