ये एसएमएस आमतौर पर महिलाओं के देश से कहीं बाहर जाने पर मिलते हैं। इस तरह के मोबाइल संदेशों की सोशल नेटवर्किंग साइट ट्विटर पर काफ़ी आलोचना हो रही है। ट्विटर पर पोस्ट किए गए एक संदेश में लिखा है , ''हेलो तालिबान आपके लिए सऊदी अरब के ई-गर्वमेंट ने कुछ टिप्स दिए हैं। जबकि एक दूसरे पोस्ट में लिखा है कि अब हमें अपनी महिलाओं पर नज़र रखने के लिए माईक्रो-चिप्स का इस्तेमाल करना चाहिए.''
इस सेवा की तरफ लोगों का ध्यान तब गया जब अपनी पत्नी के साथ विदेश यात्रा पर जा रहे उसके शौहर को रियाद एयरपोर्ट छोड़ने के तुरंत बाद ऐसा ही एक एसएमएस भेजा गया।
'गलत औरत से की शादी'
सऊदी अरब में महिलाओं को बिना किसी क़रीबी पुरुष रिश्तेदार के सफ़र करने या गाड़ी चलाने की मनाही है। इससे पहले एसएमएस सेवा की सुविधा सऊदी अरब के उन पुरुष नागरिकों को दी जाती थी जो इसकी मांग करते थे। ऐसे लोगों को उनकी पत्नियों या परिवार की अन्य महिलाओं के देश से बाहर जाने पर 'अलर्ट मेसेज' मिलते थे। लेकिन फ़िलहाल ये मैसेज वैसे लोगों को भी मिल रहे हैं जिन्होंने इसकी मांग नहीं की है।
ट्विटर पर सक्रिय कुछ लोगों ने सरकार के इस कदम की आलोचना करते हुए इसका मज़ाक उड़ाया है। इनमें से कुछ ने तो महिलाओं की गतिविधियों पर नज़र रखने के लिए उनके शरीर पर माइक्रो-चिप्स और पांव में ब्रेस्लेट डालने तक की सलाह दे डाली है। एक अन्य ट्वीट में कहा गया है, ''अगर मुझे अपनी पत्नी के देश से बाहर जाने के जानकारी पाने के लिए एसएमएस की ज़रुरत पड़ती है तो या तो मैंने ग़लत औरत से शादी की है या फिर मुझे एक मनोवैज्ञानिक की ज़रुरत है.''
सुधार की कोशिश
इस टेक्सट अलर्ट मेसेज की शुरुआत पिछले साल सऊदी हुकूमत के ज़रिए इलेक्ट्रॉनिक पासपोर्ट सेवा लागू करने के बाद शुरू की गई है। सरकार की दलील है कि ई-पासपोर्ट के ज़रिए नागरिकों को अपनी यात्रा संबंधी ज़रुरतों में मदद मिलती है। जिससे उन्हें पासपोर्ट दफ्तर जाने की ज़रुरत नहीं होती। सऊदी अरब एक बेहद रुढ़ीवादी देश है। हालांकि वहां के राजा किंग अब्दुल्लाह ने पिछले कुछ समय में वहां काफी सुधार लाने की कोशिश कर रहे हैं। सितंबर 2011 में उन्होंने सऊदी महिलाओं को मतदान करने और स्थानीय निकाय चुनावों में खड़े होने का अधिकार भी दिया था।
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